सवाल
आचार्य भगवन् !
प्रथमानुयोग को
सरल तरीके से कैसे समझा जा सकता है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
प्रथमानुयोग का ‘प्र’ कहता
प्रेम करो सबसे
प्रथमानुयोग का ‘योग’ कहता
जो योग्य उन्हें प्रथम रखो सबसे
प्रथमानुयोग का ‘अनु’ कहता
अनुग्रह दुखी दीन पर रखना
प्रथमानुयोग का ‘मा’ कहता
भाव-माध्यस्थ्य
चक्षु प्रज्ञा विहीन पर रखना
ऐसे सर्वतोभद्र
प्रथमानुयोग की न करेगा कौन कद्र
और तो और ‘भाई’ आचार्य श्री समंतभद्र
सतत
शत-शतक ढ़ोक
माँ प्रथमानुयोग
पहले अन योग था
प्रथम क्या जुड़ा
प्रथ-पृथु मान योग बन गया
पहले अन योग था
प्रथम क्या जुड़ा
प्रथ-पृथु माँ अनुयोग बन गया
पहले आन योग था
प्रथम क्या जुड़ा
प्र…प्रमुख थमन योग बन गया
और तो और
प…र… थ… म
इन्हीं अक्षरों को करके अनबद्ध
जो गया बन शब्द
सो परमार्थन योग बन गया
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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