सवाल
आचार्य भगवन् !
मेरा मन तेरा-मेरा करता रहता है
औरों का भला,
इसने सोचा हो कभी सपने में भी,
मुझे तो याद नहीं,
परोपकार की शिक्षा इसे कैसे दूँ
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कभी न सोचा चिड़िया ने
कोई दूसरा न आ बसे,
दो मिटा इसे
हा ! हाय !
क्यूँ रखता हूँ सोच अपनी,
इतनी घटिया मैं
दूसरी कक्षा पढ़े हैं
दूसरों को छाहरी पड़े
‘के वृक्ष स्वयं धूप में खड़े हैं
बड़ी स्वाभिमानी
न सिर्फ लाती मुँह में पानी
पानी पिलाने में न करती आनाकानी
नदिया बड़ी स्वाभिमानी
सभी तो सिख…लाते हैं
जाने हम गुरु के लिए क्यों नहीं खोज पाते हैं
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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