सवाल
आचार्य भगवन् !
मैं बड़ी हो चली हूँ,
पर मुझे शादी नहीं करनी है
मैं धर्म प्रभावना करना चाहती हूँ
किसी तरह मैंने मम्मी तो मना लिया है
पापा अपनी जिद पर अड़े हुए हैं,
कैसे मनाऊँ उन्हें,
ऐसा क्या करूँ
‘के मेरे पापा सहर्ष आपके लिए दे दें मुझे
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
दुनिया में लाने वाले तुम्हारे भगवान्
‘के तुम्हें
दुनिया के भगवान् के लिए सौंप दें
तो आप सविनय उनसे कहिए
आज तक मैं,
आपके लिये करती रही प्रोत्साहित
यह कहकर के
‘के पा…पा…
वो रही मंजिल कहीं दूर नहीं
दिखने ही लगी बस
मत टूटने दीजिए साहस
वो रही मंजिल कहीं दूर नहीं
दिखने ही लगी बस
पर…
कल मेेरा होने वाला बच्चा,
आपको करेगा हतोत्साहित
यह कह करके
‘के ना…ना…
वो नहीं
मंजिल तो कहीं दूर रही
वो नहीं, वो नहीं, वो नहीं
बस इतना सुनते ही,
पापा
सिर्फ तुम्हें ही नहीं
अपने आपको भी
अपने भगवान् के लिए सौंप देंगें
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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