सवाल
आचार्य भगवन् !
छोर पकड़ करके खींचने के बाद
छोड़ते ही अपने पूर्व स्थान पर आने में स्प्रिंग समय ही कितना लगाते हैं
जाने क्यूँ फिर क्यूँ हम जोर जबरदस्ती
अपनी बात किसी से मनवाते है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कोई मेरी बात माने क्यों पीछे पड़े हो
तुम आगे ही नहीं,
सबसे आगे निकल सकते हो
बेमतलब क्यों हट पकड़े हो
कोई मेरी बात माने
सभी अपनी बातों में न आयेंगे
अपने तो,
बात अपनी पहले मनवायेंगे
और क्यों ?
किसी को अपनी अंगुलियों पे नँचाना
उसकी वो जाने
पर क्या हो सकेगा
देर तलक हमारी अपनी अंगुलियों का नाँच पाना
किसी ने अपनी बात मान ली
कई जन्मों का इकट्ठा पुण्य होगा
किसी ने अपनी बात न कान ली
भई ! जन्मों का इकट्ठा पुण्य क्यों खोना
बदले माटी
बात मानने वाले लेंगे,
बदले में कल खरा सोना
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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