सवाल
आचार्य भगवन् !
खूब बरसता है,
चार महीने मूसल सी धार लगाकर,
ताल, नदिया, सागर उफान पे रहते हैं
पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी से भरा पड़ा है
ऐसा सहज सुलभ और दूसरा पेय पदार्थ कहाँ,
फिर भी भगवान् ! आप गिनकर ही,
कुछ अंजुली ही लेते हैं पानी,
अब इसके पीछे क्या राज है
सबसे बड़े महाराज जी,
बतला ही दीजिये
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
पानी को राखने की बात कहीं
“बिनु पानी सब शून”
क्या बुजुर्गों के मुख सुना नहीं
और बा…बाजी ‘पानी’
पीते-पीते
कब हाथ लागी
बड़भागी !
बनती गई कहानी
जिन्दगानी पे जिन्दगानी
और इसे कहते जल भी
जल को कहते जड़ भी
‘जड़-धी’ न कह पाये कोई
के कोठरी-काजल निकल लो
वैसे बलिहारी
कलजुग आत्मा हमारी तुम्हारी
गुणधाम !
सिर्फ नाम, ‘कल्लो’
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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