सवाल
आचार्य भगवन् !
कमेटी वालों के बारे में,
कान भरने आते होंगे लोग आप तक
क्या सोचते हैं आप,
उन कमेटी वालों के बारे मैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
बच्चे एक दूसरे की चुगली खाते हैं
पर कभी सुना नहीं,
‘के माँ के कान भर पाते हैं
आसमान से आसमां बना,
वैसे ही मान से माँ बना
यानि ‘कि बाँट बँटखरे
रखती ही माँ कुछ हटके निरे
देखिये
न सिरफ दो आँखें लगा के
पड़ने वाला न फरक,
भले देखिये चार आँखें लगा के
दिखने वाले पैर सरप
सिरफ
और एक नाम राशि कमेन्टस्
कमेटी वालों पे तो होंगे ही
और ठुके बिना,
ठोकर से सीखने वाले ठाकुर भी नहीं
स्वर्ण मृृग पीछे दौड़ चले
‘के उड़ चले तोते,
किसे न पता
पन्ने पन्ने तो छपा
आईना देखा,
रंग हमारा फलाने से थोड़ा सा साफ है
लेते ही पारिशेष-न्याय सहारा
उड़ता रंग हमारा
‘कि थोड़ा सा साँप हैं
न सिर्फ अन्तरंग हमारा
हा ! ई ना देखा
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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