सवाल
आचार्य भगवन् !
आप कहते हैं,
घी ब्रह्म-रन्ध से सात पर्तों के भीतर जाकर
स्वास्थ्य लाभ देता है
किन्तु परन्तु आप तो सिर्फ तलवे में ही
लगवाते हैं, घी या फिर तेल
ऐसा क्यों भगवन् !
क्या आपका कुछ बिगाड़ा है
हाथ-पैर, पीठ, सिर ने
फिर क्यों नहीं देते पोषण उन्हें ?
ये तो सरासर नाइंसाफी है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
अरे !
बस हमै का कै रय
सबै तो कै रय
बगैर घी तेल के,
और सब कुछ काम तो चल जै
मगर ‘तलवे’ तो घी-तेल चानेई चाने
और है भी बहुमत का
आज-कल जमाना
सो तलवे घी-तेल लगवाना
पड़ता
पड़ते का सौदा है भाई
और पोषण देना
सो ग्राम्य मिक्स इंग्लिंश से बना,
नया शब्द है ना
पो सन्
पौं…फटते ही
बाल-सूर्य का दर्श
सहर्ष पाते हैं
न सिर्फ आप ही
‘सन-लाईट’ से
हम भी देर नहाते हैं
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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