सवाल
आचार्य भगवन् !
आपके प्रवचनांश में पढ़ा
‘कि क्या रोकने लायक है ?
आपने कहा शब्द क्रोध खुद ही कहता है
क…रोध पर रोकें कैसे
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
लगते ही हवा
हवा पेट्रोल
हा ! हहा ! कुछ कुछ निभा रहा
गुस्सा भी हवा का रोल
जल जाता है खून
छिन जाता है सुकून
जाने क्यूँ ? जरा जरा सी बातों पर
न जाने क्यूँ ? जरा-जरा सी वारदातों पर
खौल जाते हैं हम
यह देखते हुये भी
‘कि खोलता हुआ, पानी
कुछ…बहुत नहीं
बहुत-कुछ देखते-देखते ही
यूँ गुमसुम गुमसुम
न जाने हो जाता है कब गुम
यार अच्छा नहीं ताव
छेद एक भी
होता है काम नहीं
देता है डुबो नाव
सुनते हैं,
पिया भी जाता गुस्सा
कोई, जहाँ दोई न उस सा
‘रे चल…
आ करते हैं पहल
गम्य खाने की
राह गरम हो जाने की तो सरल बहुत
आ बनते क्षमा बुत
सो जल्दी तैश में न आ जाया करो
सब तहस-नहस हो जाता है वरना बाद पल
जर्रा ध्यान रखो
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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