सवाल
आचार्य भगवन् !
सागिर्द, नौकर, चाकर, लड़के
किसी को तो रख लेने दीजिए
आज कल काम-काज
अपने हाथों से करना नहीं बनता है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सा…गिर्द
रहता आपके इर्द गिर्द ही
सिर्फ ऐसा नहीं
रखता आपको भी अपने इर्द गिर्द ही
वरना कर देगा एक गुड़-गर्द
और रह जायेगा बनके सिर-दर्द
हम ‘सर’
वह नौ’कर’
सभी नहीं नौ…’कर’
बहुतेरे तो ‘नव’-कर
यानि ‘कि नौसीखिया
किस्मत के मारे, विचारे, दीन-दुखिया
कर रहे चाकरी,
दो पैसों की खातिर, बन के चकरी
कोई एकाध स्वाभिमानी
बाकी पै तो, पड़े रखनी निगरानी
अच्छा है, अपना काम खुद कर लो
और बहुत अच्छा है
अपने हाथों से
अपनों का
बना काम
खुद को ख़ुदा कर लो
दुकान पर काम वाले लड़…के रहते
यार तू
फिर रखता क्यूँ
जब काम वाले लड़ते रहते
अनुचर….
नुचर
नोंच नोंच के खा जाये जो
दिमाग अपना
जाने…
रख इसे माने
जमा…ना क्यूँ सौभाग्य अपना
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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