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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -31

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
आपके घुटने साइकल चलाते वक्त,
लहुलुहान हुये, जगह जगह जख्म जनमें,
लेकिन फिर भी आप हाथ छोड़ के
साइकल चलाते रहे
सुुनते हैं, पिता मल्लप्पा जी ने भी कई दफा डाँटा,
पर भी भगवन् ! क्या विशेष बात रही,
‘कि आपने सबकी नज़र बचाके साइकिल हाथ छोड़ कर ही चलानी चाही ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
वैसे ही स…हारा
सहारा लेने वाला
होकर साई ‘कल’ भी
जो साइ-कल हाथों के सहारे चलायेगा

तो ‘साई-कल’
‘साई-कल’
‘साई-कल’
यही संबोधन फिर फिरके
कान पकायेगा
साई आज
‘बनते’
जाँबाज
रह रह कर
‘भी’तर से
थी आती रहती आवाज
और कुछ नहीं
बस यही राज
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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