सवाल
आचार्य भगवन् !
चाँद को लाकर,
कदमों में कर देता है खड़ा
औरों की खातिर,
वह एक आँसू जमीन पर पड़ा
सचमुच,
दया का कद बहुत बड़ा है, बहुत बड़ा
ये पंक्तियाँ हमें क्या बतलातीं हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
पलटते ही अक्षर,
आप आप की
कहती
क…रु…ना
ना… रुक
देर मत कर लेना
दया के भाव जल्दी जल्दी नहीं बनते हैं
हमें फिर और भी काम जो लगे रहते हैं
और शब्द रहमत तो
सीधे-सीधे ही कह देता है
मत रहो मेरे बिना
गुरुओं से तो कहते हो
बनाये रखना रहमत अपनी मुझ पर
लेकिन गुरुओं का कहना है,
तुम औरों पर रहमत बना कर जो रक्खोगे
तो खुद ही मेरी कतार में आ करके
बैठ चालोगे
सो यदि कोई बात रखने योग्य या…द
तो द…या वो
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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