सवाल
आचार्य भगवन् !
आजकल संहनन हीन पे हीन,
होता चला जा रहा है
और प्रकृति से खिलवाड़,
जो कर रहा है, आज का मानव
हा ! मौसम बेसमय का होता चला जा रहा है
ऐसे समय में, भौतिकवादी हम लोगों के पास तो हीटर है, गीजर है, ए. सी. है,
और जाने कैसी कैसी चीजें हैं,
जिससे ठण्डी में बचाव हो जाता है
सो भगवन् ! ‘कपि मद गलित’ ऐसी ठण्डी में एक चिटाई तो रख लीजिये
सूखी घास लेने की तो अनुमति है ही आगम में फिर इतकी कठोर चर्या का पाान कैसे बनता है ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
हाँ…
‘च’ का पेट बड़ा हाई-फाई
और ऊपर से ‘टाई’
फबती है बाद अंग्रेजी पढ़ाई
‘ऐसी वैसी नहीं’
साथ सूट के,
साथ-साथ बूट के
सीना भी चाहिये तना
ना भाई ना
बात अपने तो, बस की ना
और आप कहते हैं,
हमारे पास हीटर है, गीजर है, ए. सी. है,
सो हमारे पास भी सब है
बस अंंतर् इतना है हमारे पास देशी है
आलथी पालथी मार ली,
बिलकुल नाप की ही जगह,
न ज्यादा न कम, फँसा लिये पंजे,
बस थोड़ी ही देर मे हीट पाकर
गीजर सा गर्म पानी रूप पसीना छूटने लगता है
फिर मुट्ठी दोनों भींच लीं दे जोर,
फिर क्या, दी जोड़ बाद सीने पर कलाईं,
और मुट्ठिंयाँ गले के बीच दबाईं
अब लीं गहरी-गहरी
साँसें
ग…हरी-ग…हरी
जिसके आगे ए. सी. न लागे
दे च…टा…ई मत बताईये हमें अभागे
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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