सवाल
आचार्य भगवन् !
आप कहते हैं
भगवान् माँ का किरदार निभाते हैं
पर लगता है भगवान् हम बच्चों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखते हैं,
जीवन में कुछ ज्यादा ही,
दृष्टिगोचर हो चले हैं अभाव
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सब तो दिया
और तो और
आंख, कान, हाथ-पैर
क्या, क्या साथ-साथ हम शक्ल भी दिया
सारी व्यवस्था तो उसने, अपने हाथ से ही की है,
बस सिर्फ चार रोटिंयों की बात थी
जाने बेटा, बेटिंयों कीं
कहाँ से बात आई
पोता, पोतिंयों कीं
खलिहाँ, दुकाँ, मकाँ, कोठिंयों कीं
बात आई वहाँ से
बस मैं इतना पूछना चाहता हूँ इस जहाँ से
‘रे सुनो
गुमान से बचना है तो,
काम जा करके,
करने खुद के लिए देना आके
नाम आ करके अपने ख़ुदा के लिए देना
खुरदारी बचा करके रखना है तो,
दो कौड़ी के काम की खातिर,
बेजोड़ी के राम के लिए,
न दाँव पर लगा आना
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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