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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -285

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
आहिस्ते चले कभी,
हो कभी हाँपते चले,
छोटी से छोटी घड़ी जादूगर बड़ी
ऐसा क्यों कहते हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
टूटना यानि ‘कि सब खतम
नो…नो… नो
टूटना यानि ‘कि शुरुआत चूचे का जनम

भोर, विभोर के समय शोर,
कलरव नाम पाता है
होड़…भाग-दौड़ के समय कलरव,
शोर नाम पाता है

अपना आ…बला चखते पल कषायला
ठहरते-पल मीठा
भाँत फल-सीता
और शहद चखते पल बेहद मीठा,
ठहरते पल कड़वा

बाद पल,
दल बादल दुनिया बदल लेते हैं,
हा !
आहा !
दुनिया बदल देते हैं,
जल बादल बाद पल

सच,
आहिस्ते चले कभी,
हो कभी हाँपते चले,
छोटी से छोटी घड़ी जादूगर बड़ी

सागर,
गागर जल से कलकल करके ढ़ुल जाते हैं
माला मुरझाने के बाद महीने छह,
माथे पे शल लाते हैं
सो समदृष्टि राखिये
बनती कोशिश भीतर झाँकिये
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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