सवाल
आचार्य भगवन् !
जैसे माँ बच्चों को दूर से ही,
आता क्या देख लेती है
स्वस्ति की लाईन लगा रही है
उसी तरह आप भी,
कोई आपको सिर झुकाये
या न झुकाये
आप आशीर्वाद के लिए हाथ उठाए ही रखते हैं भक्तों को देखते ही आपके मुखारबिन्द से
आशी वचन कतार लगाकर निकल पड़ते हैं
सो भगवन् !
हाथ दरद नहीं देने लगता है आपका ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
हे ! भगवन्
भले करने लगे मेरा हाथ दरद
पर किसी भूले हुये को
दर…दिला दे
न सुबह-सुबह
शाम सही
न अपना आतम राम
श्री राम सही
मैं आचार्य ज्ञान सागर जी का
कुछ तो चुका पाऊँगा करज
मैं आचार्य ज्ञान सागर जी का
कुछ तो कर पाऊँगा कारज
और क्या
बस
निश-दिवस
यही अरज
मैं आचार्य ज्ञान सागर जी सा
रह सकूँ ताउम्र निराकुलो-सहज
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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