सवाल
आचार्य भगवन् !
जाने क्या मजा है
दुनिया इतना मजाक क्यों करती है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
बड़ा ही दर्दनाक,
बिलकुल हूबहू डरावने सपने माफिक मजाक पसीने पसीने कर देता है
जब-तक खुलती आंख सीना छलनी, कर देता है
बस इतने इस मजाक की वजह से
‘के राम भगवन्त स्वर्ग सिधारे,
लक्ष्मन यम को प्यारे
वे बलि, थे महाबली
और हम ठहरे कलजुगी
जो संहनन के बारे में सोचते हैं,
तो उड़ते तोते,
खुदा न खास्ता,
कहीं कुछ उलट-पलट बन पड़ा
तो बन पड़ेगा सिर्फ रोते
‘क’ यानि ‘कि क्या
खुदबखुद कह रहा शब्द मजाक
मजा… क
और फिर क्यूँ बोलना झूठ
झूठ भी ठीक था,
सरासर सफेद झूठ
कभी गैर से बोल के देखना
आब देखेगा न ताव
सीधे पड़ेगा टूट
मानी
थोड़ा यानी
चुन्नु सा मजा बटोर लेते हैं
पर हम
मजाक कर बेजोड़ा विश्वास तोड़ लेते हैं
विश्वास जमाना कंचे पर कंचे जमाने सा
क्यूँ करना मजाक
क्या क्या नहीं दो, दो
पाँख भी, आँख भी
पर कहो ?
मिलती क्या दूसरी नाक भी
सो दिल को खटकने वाली बात
खटाखट न कर लेना मंजूर
है ये ऐसा लोक,
जहाँ ज्यादातर लोग,
मजाक करने की आदत से मजबूर
अय ! चश्मे-बद्दूर
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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