सवाल
आचार्य भगवन् !
बताते,
लगा आग लगे हाथ भी बुझाते
तो कुछ कुछ,
बहुत कुछ क्या
कभी कभी तो सब कुछ हो जाता जलना
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
हाँ…हाँ
आग लगाने से पहले सँभलिये
बताते,
लगा आग लगे हाथ भी बुझाते
तो कुछ कुछ,
बहुत कुछ क्या
कभी कभी तो सब कुछ हो जाता जलना
जाने क्या मजा आता है
जलाने वाली कोई भी चीज़ हो
साथ-साथ स्वयं भी जलती है
और हम कोई आईने नहीं
‘कि आग झलक चले,
हम तो घी हैं
‘के हाथ मिलाने गये आग से,
लौटे हाथ भी हमें छुयें,
तो हम पिघल के धूल में मिल चलें
डिब्बे में रखा रखा भी काफूर कपूर
आग की परछाई भी,
यम जमाई अजि
गमन को दर्शाने ‘ग’ ही बहुत था,
‘आ’ लगाकर के तो
आ-समन्तात्
यानि ‘के चारों ओर से गमन के रास्ते जिसे खुले हैं जो आग है
सो अक्षर दूर दूर पढ़ करके देख लो
कुछ कहती सी आग
‘के आ…गा पीछा देख लो
बाद में सिर्फ पछतावा
हाथ लगने वाला
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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