सवाल
आचार्य भगवन् !
मेरा मन बड़ा गंदा है
क्या करूँ, कोई रास्ता सुझाईये
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
मन नहीं हम गंदे हैं,
माना ट्यूब-टायर है मन
पर हम जब तक हवा नहीं बनते हैं
बनती नहीं बात,
यानि ‘कि ठप्प सारा यातायात
सूत्रधार हम
मन कठपुतली
दो…गला है
मन दोगला झूठ सरासर
आखिर कब तक करते रहेंगे हम,
टोपी सर इसके उसके सर
जो पाते हिचकी के बदले,
झिड़की,
उस श्रृंखला की, मन एक अद्वितीय कड़ी
कभी रख ली दुनाली,
इक दु बारी मन के कांधे पर साब
पर रखकर बारी-बारी तो बलिहारी
हो जायेगी आदत ही खराब
सारे
तुम्हारे अपराध ले लेता है मन, अपने सिर
‘के तुम अपनी ही नज़रों में न जाओ गिर
भले माने जमाना,
पर आत्मा तुम कभी
सपने में भी
मन के लिये गलत मत ठहराना
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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