सवाल
आचार्य भगवन् !
गृह-परिग्रह की वजह, क्या है ?
कृपया बतलाने की कृपा कीजिए
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
गृह-परिग्रह की वजह पहली,
है जिन्दगी यदि दो दिन की,
तो आना बाकी अभी,
दूसरा दिन भी
पर जर्रा याद तो रक्खो,
पत्ता भी अगर हिलता है,
तो मर्जी से उस भगवन् की
गृह-परिग्रह की वजह अगली,
उसकी फैले खुशबू
मैं क्या उससे कम हूँ
पर जर्रा याद तो रक्खो,
अंगूर खट्टे हैं, बाद कहना क्यूँ
अपनी कूबत देख अभी,
कह दे ना तू,
लोग तो यहाँ नाप रहे हैं,
भरते ही डग भू
गृह-परिग्रह की वजह असली,
सभी छोड़ देंगे घर-परिवार,
तो करायेगा कौन,
मौन साधकों का आहार विहार
पर जर्रा याद तो रक्खो,
सुनते हैं,
जिसने चोंच दी,
वहीं देता है, चुन भी,
फिर हम क्यों रखते हैं,
सिर अपने औरों की चिंता का भार
मैंने खोज,
देर रात तलक, जाग कर रोज,
तब गृह-परिग्रह की वजह निकली,
कायरों का काम है, छोड़ना घर,
और छोड़ घर-बार
रख दूँ भार, किस के सर
पर जर्रा याद तो रक्खो,
काय…रता ही कायरता है,
और आत्मा तो दूध में घी जैसी,
जा तलहटी में छोड़ो तो भी,
आ जाती अपने आप ऊपर,
अब रहा तन,
तो, वो तो कह ही रहा,
हम तन से,
मन…मन भर,
तभी तो लाश पानी में,
लकड़ी जैसी जाती तर
सो…
तरंग-नव-मन, भर मार लो
और…
सुरंग भव-वन कर पार लो
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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