सवाल
आचार्य भगवन् !
सर्वाधिकार सुरक्षित खूब सुर्ख़िंयों में
छाया हुआ है आजकल,
मेरी जिज्ञासा यह है
‘कि हरी तो भगवान का नाम है
वनस्पति ने रख लिया अपना नाम हरी,
तो भगवान् के लिए,
कोई न कोई ऐतराज तो जरूर हुआ होगा
यदि नहीं, तो क्या सोच रखी होंगी उन्होंने
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
मानो या न मानो
हर जानवर कुछ न कुछ जहरीला
तभी कर पाया परस्पर
एक-दूसरे की समाप्त जीवन लीला
और इनका ये थोड़ा-बहुत जहर
करता मानव को मदिर
तभी एक दफा क्या चरख लें
ये अपना परमानेंट ग्राहक बना के रख लें
ये चालबाजी नहीं आती हरी को
अब यार,
मान-हानि का दावा ठोके बिना
रख लेने दिया,
भगवान् ने अपना नाम जो
सो भाई ! कुछ न कुछ तो बात तो होगी
बरखुरदार, समझो ‘भी’
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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