सवाल
आचार्य भगवन् !
पहले के जैसी भक्ति कहाँ खो चती है
जब भगवान्
भक्त के घर आते थे
‘के कुछ ले लो भाई
आज तो भक्त भगवान् का द्वार
ही खटखटाता रहता है
क्या भगवान् ने अपना अता-पता
बदल लिया है
या आजकल के भक्तों की
भक्ति में कुछ कमी है, जो सपनों मे भी
भगवान् के दर्शन नसीब नहीं हो पा रहे हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
मोल भाव जमाना आ गया
आज सौदे बाजी हावी है
छिटकी चढ़ाते लोग
बढ़ चढ़ के मँगाते लोग
कुछ हाथ लग चले
‘के बने भक्त आजकल
और था करने लायक नाज, कल
विरला… कुछ हाथ लग चला था
इसलिये कहके भक्त बुलाते थे लोग
पेट, पेटी भर ऊंट लगा सुस्ताने
“मन अभी भरा नहीं…”
तथाकथित,
आज-कल के भक्तों के भक्ति-तराने
कल साहू थे लोग आज भिखारी बने हैं
थे निसंग-वायू से, लोग आज मन से भारी बने हैं
आ… आभारी बनें
‘के खूब दिया भगवान्
तेरा बहुत बड़ा एहसान
तूने खूब दिया भगवान्
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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