सवाल
आचार्य भगवन् !
अब तक तो ठीक था,
आप लड़के बच्चे लेते थे
माना लाड़के थे, लेकिन घर में
लड़ते झगड़ते भी थे लेकिन
अब साथिया का क्या होगा
आप साधिका जो बनाने लगे हो,
लड़के बच्चे लाठी, चश्मे थे
बिना उसके भी काम निकल चलता था
लेकिन पत्नी तो अर्धांगिनी है,
उसके बिना श्वासें अंगुलिंयों पे कब गिनी हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये
अर्धांगिनी बिना श्वासें अंगुलिंयों पर
भले न गिनी जायें
पर क्या आप चाहते हैं मेरी साथिया
स्त्री-लिंग न छिदने से बन नागिनी जाये
और यदि वो नागिनी बनेगी,
तो आपको वरवश है
बनना पड़ेगा नाग
सात भव तो साथ जाएँगे न आप
सो अभी ‘बन चलो ना’
बस पढ़ लो जर्रा सा दूूर दूर अक्षर
शब्द नाग
ना…ग
और देखिये न सिर्फ गुरुदेव ने
पुरुदेव ने भी कहा है
हमसफर
रहते रहते
गंगा की धारा सी धौरी,
धोती क्या तन पर आती है
मन के सारे पाप धो जाती है
बिन साबुन सोड़े के
पाप वो
जो तलक अब जोड़े थे
वैसे बचे दिन अब थोड़े से
न सिर्फ बेजोड़ जोड़ने का
बच्चे लेते हैं मजा
रेट घरोंदे
तोड़ने का भी
आ सीखे बच्चे से
हो कर ‘बच्चे-से’
कैसे लेते मजा
जीते ‘जी
खेत, घर, धंधे से
मुँह मोड़ने का
भाई अंधों के हाथ कब लगी
कहावत ही कह रही
लगी एकाध अंधे हाथ बटेर
चल चल जल्दी कर मनुआ
न हो चाले फिर से देर
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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