सवाल
आचार्य भगवन् !
आजकल फास्ट-फूड,
फस्ट फूट बनते जा रहे हैं, ऐसा क्यों ?
और सुनते हैं बीमारियों घर के हैं ये,
रोकिए इनके बढ़ते कदम गुरुजी
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सच भोजन भूसे से बदतर लगता है
यदि उसमें किसी ने न प्यार डाला हो
और अगर ऊपर से यदि व्यापार डाला हो
फिर तो भगवान ही मालिक
फास्ट फूड हा ! मा ! धिक् !
कान लगा कर सुना,
दी सुनाई बेजुबानों की चीख
अब तो फास्ट फूड नाम सुनते ही,
भरने लगी हीक
पर जाने क्या हो चला बच्चों के लिए आजकल
घर के आयटम जले न चलेंगे,
जाने क्या जायका
घर-बाहर
आयटम ‘जले… भी’ अंगुलिंयाँ चाटते चाटते
चर कर आते हैं
‘हाईकू’
न आना फास्ट फूड के छल में,
हूँ मै चा’वल’ में
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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