सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते है,
केशलोंच के बाद,
दश दिन तक तो बाल दिखते ही नहीं,
जड़ से जो टूटते हैं
अब से लगा करके दो महीने गिनो तब भी ठीक है देखो ना मम्मी के पेट में जब हम थे, तब इंग्लिंश में सार्थक नाम ‘नो’ महीने नहीं गिने
जन्म के दिन से गिनना शुरु किया था,
सो मैं कोई बेसिर पैर की नहीं,
बल्कि ‘बेस’ की बात कहा हूँ,
सच भगवन् !
दो महीने में तो बाल,
ठीक से पकड़ में भी नहीं आते हैं,
सुनते हैं,
चार माह तक केशलोंच कर सकते हैं,
लेकिन आप एक दो दिन कम तो रहे आयें,
मगर दो महीने से एक दिन भी बढ़ नहीं पाता है,
और केशलोंच कर लेते हैं, जाने क्यूँ ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनो,
दो ठीक रहते हैं
तीन मिलते ही दो के साथ
तीन दो पाँच से होती मुलाकात
और बड़े होते ही कहाँ हैं
दो महीने के हों
तीन या चार महीने के ही क्यों ना हों
यथा नाम गुण हैं
‘बाल’
सदाकाल
दुनिया में जो आये, एक दिन बुढ़ाये,
लेकिन बाल बाल हैं,
कृष्णता, कुटिलता और कहीं नहीं फबते,
लेकिन यहाँ करते कमाल हैं
पकड़ने में कभी नहीं आते हैं
और पकड़ने की ठान लो,
तो कहीं भाग नहीं पाते हैं
सो देखो
‘केश’
जिसने जल्दी रफा-दफा हो
करता उतना माइण्ड ‘फ्रेश’
थे ये शब्द गुरुजी जी के मुख से सुने,
‘के होने न पायें दो महीने
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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