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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -192

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
दूसरों का छल हम,
समझ क्यों नहीं पाते है
मछली ही मछली को,
साबुत निगल जाती है
अपने ही ठग करके चले जाते है
ऐसा क्यों
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
आखर पलटते ही कहता शब्द
द…गा
गा…द
यानि ‘कि
लगाव
अलगाव
साथ लेके आता
बस कखहरा छिपाता
और
‘अलिफ-बे’ कह जाता
सीधे-सीधे ही
‘कि ‘गम’
और आजकल इग्लिंश तो
घुल मिल गई है
सब भाषाओं से
या कहे घुला मिला दी गई है
सो बच्चे भी समझते हैं
कि गम या गोंद यानि ‘कि लाग-लपेट
सो गम मतलब,
जो दुख से कराता भेंट

सो
अपने से मतलब रखो
और सपने से मत ‘लव’ रखो
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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