सवाल
आचार्य भगवन् !
खूब देखा है, हम गलत नहीं हैं,
फिर भी,
गलत ही ठहरा देती है, दुनिया हमें
भगवन् ! नेक दिल इंसान
अच्छे नहीं होते है क्या ?
क्यूॅं पत्थर दिल हावी हो जाते हैं
कभी-कभी मन करता है,
पाला बदल लिया जाये
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
सार्थक नाम रखता है,
जमा…ना
सही होने पर भी जो इतना कुछ हुआ
‘के जा, सरहद छुआ
जाने क्या होता, जो हम गलत होते
अच्छा रहा, रहे उड़ने से तोते
खोटे मुखोटे आ देते उतार,
होना है ना पार
इस बार
साँच नेक दिल कांच
भई !
कोई बात थोड़े ही नई
किसी पर,
आती आंच अगर
स्वर की जगह
रखते ही व्यंजन पहला यह
आता उत्तर कांच पर
जो जल्दी पिघल जाता है
पत्थर दिल तो डूब जाता है
सो जब भी मन कहे
बदलने की पा…ला
पलट
ला…पाड़ा दीजिये
और बता दीजिए
आखर ढ़ाई
भेजे से नहीं, दिल से पढ़ा कीजिए
और आप कह रहे,
कभी भी जाल में छली न आये
चूँकि छली ही तो जाल बिछाये
जाल में आये
म…छली
भोला भाला
सीधा-साधा
कोई फाँस लिया गया हो
तो बात क्या अचरज भरी
एक अंगुली,
‘उठी’
अनेक अपनी तरफ
दुनिया मतलबी सिरफ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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