सवाल
आचार्य भगवन् !
आपके प्रवचनों में सुना है,
अद्भुत शब्द है ‘मालामाल’
और इससे जादुई शब्द है,
माला महामन्त्र णमोकार
इसकी एक माला के बाद,
दी गई दूसरी माला पूरी हो ही नहीं पाती है,
‘कि जपने वाला मालामाल हो चलता है
भगवन् मानते है,
आप तो सारा माल छोड़ कर आये है,
न सही, माला…माला रखिये,
पर जो सम्बोधित करते ही,
दुनिया का सबसे प्यारा शब्द ‘माँ’,
उसकी ओर ध्यान आकृष्ट करे,
सो भगवन् !
जो मान को आगे लगाये,
उस मानक की मत लीजिये,
‘च’ बड़े पेट वाले चाँदी की मत लीजिये,
प्रमाद पक्षधर ‘सोने’ की बात रखे,
उस सोने की मत लीजिए
पर भगवन् बाला चन्दन की याद दिला जाए
ऐसी चन्दन की एक माला तो रख लीजिए
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
शब्द ही कह रहा है मा…ला
मतलब
माँ के पेट से
लाये हो जिसे, वो माला है
तो होने मालामाल
ये मालाएँ रखो संभाल
पोर की माला
अँगुलिंयों की माला
श्वासों की माला
धड़कनों की माला
चन्दन में क्या रक्खा है
मलयागिरी की भीलिनी जलाती चन्दन को
स्वाद अपना छुपाता रहता
बताते समय लाज आती चन्दन को
और तो और नागिन घिरा है
क्या घेरा न तोड़ना है
तो बेजोड़ जुड़
तोर-‘मोर’ छोड़ना है
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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