सवाल
आचार्य भगवन् ।
आपका
एक हाइकू ‘पीछे भी देखो’,
वरना… सुनो, पीछे रह जाओगे
सो भगवन् !
ऐसा कहके क्या कहना चाहता है आप,
दुनिया तो आगे बढ़ने के लिये कह रही है,
और बढ़ भी रही है,
यदि हम पीछे देखेंगे तो,
वो आगे बढ़ जायेंगे
हम रह जायेंगे,
और वो नये इतिहास
गढ़ जायेंगे ।
नमोऽस्तु भगवन्, ।।१७३।।
सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते है,
करीब साधू
अजीबो-गरीब जादू
और भगवन् आज चमत्कार को,
नमस्कार हो ही रहा है
आप कहाँ तक सहमत है
इस बहुमत के नजरिये से ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
वाह भई वाह
तुकबन्दी तो खूब कर लेते हैं आप,
करीब साधू…
अजीबो-गरीब जादू…
तो भाई,
अजीव था साधू,
कल पुद्-गल के साथ
गलबाह देकर बैठने से,
करीब-करीब आज मंजिल के करीब है
और गरी…ब
साधू तो बा…गरी है
जो सार्थक नाम करा रही
ना…’रियल
खोल के भीतर ही तर चली है
सूख
पा चली सुख गली है
चढ़ता यही श्रीजी को
सो, अजि ओ !
पैसे…
जिससे निकालता
जादुई उसी टोपी को,
तमाशे के बाद
कुछ पाने की
आशा से औरों के सामने पसारता
रहने दीजिये…
साधू भर
न बना लीजिये जादूगर
हा ! हहा !
तमाशा
गाल साधू तमाचा
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये,
हम लोग आज भले पढ़े-लिखे
पर वियर विस्की रम गले पड़े
कल थे गले पड़े
एकाध भिरम
पर अनपढ़ होकर भी थे लोग बाग विरले
पड़े भिरम दूर करने ज्यादा कुछ न करना
सिर्फ हर्फ दूर-दूर पढ़ना
‘भि’…रम
और देखिये
कल के लोग-बाग,
कल को काल कहते थे,
जब आकर के
काल
दरवाज़ा खटखटाता था,
तो भीतर से आवाज आती थी
‘के भैय्या कौन ?
तभी बाहर से आवाज आती थी
‘काल’
तो फिर भीतर से,
आवाज आती थी
भैय्या !
आज तो आज है, आप काल आना
और काल आता कब है
किसे नहीं पता
हाय ! जमा…ना क्यों कर,
कर चला कॉल कहने की खता
आज,
जब काल दरवाज़ा खटखटाता है,
तो भीतर से आवाज आती है
‘के मिस्टर कौन ?
तभी बाहर से आवाज आती थी
‘काल’
तो फिर भीतर से,
आवाज आती है
अच्छा ‘कॉल’
हाँ हाँ करके आ जाईये
और कॉल देर लगाता कब है
आ पीछे भी देखें,
और बड़े बुजुर्गों के
‘पाले’ में आकर
काल को छका लें
और पूर्णायू पा लें
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
Sharing is caring!