सवाल
आचार्य भगवन् !
चतुर्विध संघ आपका,
एकदम छरहरा सा दिखता है
सभी नई उम्र के साधक हैं
भगवन् !
खूब तपस्या कराते हैं आप इनसे,
के ये ऊनोदर तप के रसिक से बन गये है ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
खूब ध्यान रखता हूँ
बखूब ध्यान रखता हूँ
‘के
ऊन-दर के रसिक न रहे आएँ यह
सदय-हृदय !
रहे आएँ भले
रसिक ऊनोदर चूँकि विरले
वैसे
हिदायत ए दवाखाना
दवा… खाना
दबा…खा…ना
और दबा दबा खाना तो
पराधीन हहा !
और बनने आये स्वाधीन यहाँ
वो भी सुबहो सुबहो
सो चाहता मैं भी
‘के गुजरें छिन शाम
इनके
ले मनके
भगवत्-नाम
ताकि शुभ हो, शुभ हो…
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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