सवाल
आचार्य भगवन् !
शब्दों के तो जादूगर हो आप
शब्दों के नये-नये अर्थों के सूत्रधार भी,
आप ही नज़र आते हो
इस-उस दुनिया में एक, एक और सिर्फ एक मूकमाटी साक्षात् उदाहरण है इसका ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनो तो,
सिर्फ वेष कीमती सूत्रधार
सूत्र द्वार बनना हमें
चूँकि बेशकीमती मोती से भी ज्यादा हार कीमती
हाँ… हाँ… अपनों से हार की मति
हाय-राम !
क्यों शब्दों से टकराता रहता हूँ
मुँह की खाता रहता हूँ
वे तो अक्षर पिण्ड,
सर मेरा ही फूटता है
मजा जमा…ना लूटता है
और बार-बार बाहर आना
आप-आप ‘दे…बता
‘के अभी,
हाथ लगा अपना पता ही
न हुआ पते पे लग पाना
सो साधू बनके लजा रहा हूँ
ऊपर-नीचे जो आ जा रहा हूँ
सीझे अंजन से चोर
हा ! देखने का मैं सन्त शिर मौर
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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