सवाल
आचार्य भगवन् !
क्या सूर्य,
क्या भोर,
क्या विभोर
क्या ब्रह्म-मुहूर्त,
क्या आधी रात,
भगवन् !
आपको किसी ने भी आज तक,
पैर पसारे नहीं देखा ।
स्वामिन् क्या राज है
क्या आपको थकान परेशान नहीं करती है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
तुम ही कहो
जिस दिन तुम हमें
पैर पसारे देख लोगे
उस दिन तुम्हारा मेरे प्रति श्रद्धान
घटेगा या बढ़ेगा
और मैं धर्म का प्रतिनिधि हूँ
चूँकि धार्मिक बिना धर्म नहीं,
ये श्रुति-सूत्र है
सो यदि मैं जिन धर्म की प्रभावना में
न बटा सकूँ हाथ, तो कोई बात नहीं
पर कोशिश करता हूँ
‘कि बनती कोशिश अप्रभावना हो मेरे हाथ नहीं और तुम पैर पसारने की बात करते हो
चादर ही नहीं है
मिथ्यात्व के साथ आया हूँ कलिकाल में
प्रभु से प्रार्थना है,
इस बार
बुन चादर,
टक सकूँ सितारे, और चाँद चार
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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