सवाल
आचार्य भगवन् !
मारुति जी आपके बाल सखा हैं
बड़े ही सीधे-साधे, सरल हृदय
सहज-निराकुल व्यक्तित्व के धनी हैं
सुनते हैं
आप बचपन से ही इनका नाम राम से भी ज्यादा जुबाँ पर फेरते रहते थे
क्यों भगवन् !
ऐसा क्या है इनके नाम में ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
किसने कहा
मैं, बचपन में
राम का नाम कम लेता था
भाई मैं तो
साथ-साथ माँ का नाम आ जाये
इसीलिये मारुति नाम हरदम लेता था
माँ… अरु… ति
ति यानि ‘कि तीन
निकल श्री जी
सकल श्री जी
और भावी, मतलब कल श्री जी
तो लेते ही जिस नाम को
देव शास्त्र गुरु तीनों को ही
एक साथ प्रणाम हो
उसको ना लेगा कौन
लेता कोन कोन
मारुति नन्दन
यानि ‘कि माँ महात्मा परमात्मा नन्दन
श्रीमद् आचार्य देव गुरु ज्ञान सागर के लिए शत-शत वन्दन
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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