सवाल
आचार्य भगवन् !
आप प्रवचनों में
बार बार प्रज्ञा अपराध की चर्चा करते रहते हैं
यह है क्या बला,
आप कहते हैं आयुर्वेद ग्रन्थों में,
इसे अस्वस्थ्यता का मूल कारण कहा है
खुलासा कीजिये ना स्वामिन्
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
खुरई का ‘खु’,
खिमलाषा का ‘लासा’
मिलके बना शब्द खुलासा
और इन दोंनो गाँवों के बीच की दूरी किमी 18
यानि ‘कि दो…नव
और दो ‘नौ’ की सवारी…
सहज कहाँ
फिर भी बनती कोशिश भरता हूँ हाँ,
अद्भुत शब्द प्रज्ञा
ग्रामीण बोलेंगे तो बोलेंगे ‘पर’…ज्ञा
वैसे साधारण ज्ञान से कौन शून
पर छूने ‘शून’ लगाने वाले ‘पर’
परिन्दे जाँबाज
कर मनमानी,
न सुनने वाले भी’तर आवाज
उड़े जाते हवा में उड़े जाते,
पर कहाँ आशियाना
लौट वापिस था ही आना
सो लेकर खम् अभिलाषा
जब तलक न खुदई में वासा
तब तलक प्रज्ञा अपराध
आ बनती कोशिश ‘खुदई-साध’
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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