सवाल
आचार्य भगवन् !
एक रात मैंने,
सपने में आपको बस चलाते हुए,
देखने का अक्षम्य अपराध कर लिया था
भगवन् !
मैं बहुत गंदे सपने देखता हूँ,
है…ना भगवन्
क्योंकि
आपने तो सवारी तक का त्याग करके रखा है
जाने क्या जेहन मैं जा के घर कर गया,
लगता है ट्रकों पे लिखा आपका नाम
‘ज्ञान के सागर…विद्यासागर’
अमिट छाप छोड़ चला है
भगवन् !
अपराध क्षम्य हो इस नादान का
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनो,
ज्यादा खेद मत करो.
खेवटिया तो गुरुओं को कहा ही है
और सही भी है
‘खे’ खेव ठिया पर जो लगाते हैं
संसार जल होगा, तो मोक्ष नाव पतवार
‘गुरु के हाथ होगी’
संसार जंगल होगा, तो मोक्ष ट्रक, बस, कार
दूूर सुदूर तक कहाँ जहाज
प्राय:
ट्रेन बस कार ही आती नजर आज
सो आपने गंदा नहीं देखा है
स्वप्न
सोने सुगंधा देखा है
सोने के समय सपने में
सोना दिखता, दिखती चाँदी
गुरुओं की याद तो कम ही आती
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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