सवाल
आचार्य भगवन् !
आज सन्त शिरोमणी सम्बोधन,
छोटे-बाबा का पर्यायवाची नाम बन चला है,
आपके लिये पा करके क्या सदलगा,
क्या कर्नाटक, क्या दक्षिण-प्रान्त,
सारा का सारा भारत-देश ही,
धन्य हो गया है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
अरे ! जर्रा थमिये तो,
लगाईये ब्रेक थोड़ा सा
आप तो भगाते ही जा रहे है जुबाँ रथ
भले खाली मिल जाये
पर जर्रा ध्यान से तो सुनिये,
खुदबखुद ही शब्द ‘रोड़’
पलट कर आखर
आखिर क्या बतलाये है
‘के
रो…ड
ड…रो
ओ जवाँ !
औज वाँ,
भारत मुझे पा करके नहीं,
बल्कि मैं भारत को पा करके धन्य हुआ हूँ,
सुत देव पुरु भरत का भारत
प्रतिभा…रत भारत
विश्व गुरु भारत
मैं तो भार था,
अनगढ़ पत्थर था
वो तो रहमोकरम उसका
‘के ज्ञान धारा नर्मदा में ‘आ पड़ा’
धन ! धन ! निर्…मदा
ज्ञान गुरु देव नर्म…दा
और हो चली किंवदन्ति चरितार्थ
“नर्मदा का हर कंकर, शंकर”
सो लोगों ने ऊपर बिठाया है
जाने कर्मों ने,
ये कौन सा नया जाल, बिछाया है
एन-काउन्टर आजकल खूब पा रहा हवा
ओ जवाँ !
ओज वाँ,
हा ! हहा !
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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