कुंदकुंद को नीत नमो, हृदय कुंद खुल जाय ।
परम सुगंधीत महक में, जीवन मम भुल जाय ॥
ॐ ह्रीं श्री आचार्य कुंदकुंद मुनिंद्राय नमो नमः
स्वामी समंतभद्र हो, मै तो रहा अभद्र ।
मम उरमें तुम आ वसो, बन जाऊं मै भद्र ॥
ॐ ह्रीं श्री आचार्य समंतभद्र मुनिंद्राय नमो नमः
संयम, सौरभ, साधना जिनको करे प्रणाम ।
त्याग, तपस्या, तीरथ का शांतीसागर नाम ॥
ॐ ह्रीं श्री आचार्य शांतीसागर मुनिंद्राय नमो नमः
वीतरागता का वतन, सत्य अहिंसा धाम ।
जिनशासन की शान का विद्यासागर नाम ॥
ॐ ह्रीं श्री आचार्य विद्यासागर मुनिंद्राय नमो नमः
तरणी सन्मतीसागर गुरू, तारो मुझे ऋषीश ।
करूणा कर करुणा करो, कर से दो आशिष ॥
सारे सागर क्षार है, मम गुरू मधुर अपार ।
नमो सन्मतीसागर गुरू, करू भवसागर का पार
ॐ ह्रीं श्री आचार्य सन्मतीसागर मुनिंद्राय नमो नमः
मेरे गुरूवर मेघ है, हम बालक है मोर ।
नाच रहे है मोद से, देखत उनकी ओर ॥
वर्धमान सागर मम गुरु दो मुझको आधार ।
युग युग तक नहीं भूलूंगा यह आपका उपकार ॥
ॐ ह्रीं श्री संयम मूर्ति आचार्य वर्धमानसागर नमो नमः
जय जिनेंद्र बोलिये ।
जय जिनेंद्र जय जिनेंद्र जय जिनेंद्र बोलिये ।
जय जिनेंद्र की ध्वनीसे, अपना मौन खोलिये ॥धृ॥
सुर असुर जिनेंद्र की महिमा को नही गा सके ।
और गौतम स्वामी न महिमा का प्यार पा सके ।
जय जिनेंद्र बोलकर जिनेंद्र शक्ति तोलिये ॥
जय जिनेंद्र जय जिनेंद्र ….. ॥१॥
जय जिनेंद्र ही हमारा एक मात्र मंत्र हो ।
जय जिनेंद्र बोलने को हर मनुज स्वतंत्र हो ।
जय जिनेंद्र बोल बोल खुद जिनेंद्र हो लिये ।
जय जिनेंद्र जय जिनेंद्र ….. ॥२॥
पाप छोड धर्म जोड ये जिनेंद्र देशना ।
अष्ट कर्मको मरोड ये जिनेंद्र देशना ।
जाग जाग जाग चेतन, बहु काल सो लिये ||
जय जिनेंद्र जय जिनेंद्र ….. ॥३॥
हे जिनेंद्र ज्ञान दो, मोक्ष का वरदान दो ।
कर रहे ये प्रार्थना हम, प्रार्थना पर ध्यान दो ।
जय जिनेंद्र बोलकर हृदयके व्दार खोलिये ।
जय जिनेंद्र जय जिनेंद्र बोलिये ॥