“नो नो नो”
आज बेबी
पूरे एक साल का हो चला है
वर्ष गाँठ है उसकी,
जो बड़ी धूम-धाम से मनाई जा रही है
पढ़ने भेजा था समन्दर पार बेटा,
स.. मन्दर जान के
हा ! अजान थे
यहीं वस चला बेटा आन के
सारे रिश्ते नातेदार
द्वार खटखटाये जा रहे हैं,
मुस्कुराये जा रहे हैं
एक यथा नाम तथा गुण
लड़की गौरी आई,
गोरी तो थी ही
साथ साथ ‘गो’ भी थी,
वह जैसे ही बेबी के लिए
गोद में उठाने लगी,
बेबी बताये रो, रो, रो
मम्मी बोली बेटा ये तुम्हारी मौसी हैं
बच्चे ने कहा माँ,
सी क्यों लगा रही हो
और आज तक तो
म्याऊं से मिलाती रही हो
माँसी कहके,
तभी बेबी कहने लगा
मुझे गोद से नीचे उतारो
नो, नो, नो
और बताये रो, रो, रो
तभी एक सुन्दर सा युवा आया
घने काले, घूंघर वाले बाल जिसके,
उसने भी बेबी को
गोद में उठाया बेबी बताये रो, रो, रो
मम्मी बोली बेटा ये तुम्हारे मामा हैं
बच्चे ने कहाँ डबल प्लस तो
मायनस होता है ना माँ
मुझे गोद से नीचे उतारो
नो, नो, नो
और बताये रो, रो, रो
तभी लाठी लिये दादू,
चश्मा चढ़ाये नाक पे दादी आईं
पापा ने ‘के बच्चा रोये
पहले हो परिचय करा दिया
बेटा ये वो हैं जिन्होंने
तुम जब जन्में ही थे
जमीन पे नहीं रक्खा
दा ने दी दादी बनीं
फिर देर बाद दा से कहा दूं
तो दादू नाम पड़ा
बच्चा गोद में चला आया
पर जैसे ही हाथ की हथेली पर उठा
उस बच्चे को आसमां छुवाने लगे
‘के बच्चा बोलता है
दा दी, दा दूं कह रहे
हमेशा ही क्यों न लिए रहे
लगता है थे परेशाँ हो गये
मुझे गोद से नीचे उतारो
नो, नो, नो
और बताये रो, रो, रो
तभी पापा ने लिया गोद में
और सहज हथेली पर ले लिया
पर जैसे ही आसमां की तरह हाथ बढ़ाया
कि बच्चा बोला है
आप पाप आगे लगाये हो
मुझे गोद से नीचे उतारो
नो, नो, नो
और बताये रो, रो, रो
अब माँ की बारी थी,
माँ ने सिर्फ गोद में ही न उठाया,
हथेली पर ही न बिठाया
और आकाश की ओर
हाथ ऊँचा ही नहीं किया,
फेंक भी दिया
हवा में है बच्चा
लेकिन मुस्कान ले रखा है
माँ कह रही है
न झेलूंगी
बच्चा कहता है
बिन मेरे जी लोगी
तभी जाने क्या हुआ
माँ को चक्कर आ गया
माँ के जमीन पर गिरते-गिरते
अपने बालों का जूड़ा खोल दिया
बच्चा अभी भी रो नहीं रहा है
बालों के डनलप गद्दे पर
जो गिरा है
सच बेजोड़ो
माँ मोरी
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