“पटरानी और जादुई कपड़े”
एक नेक दिल राजा था, रानिंयाँ उसकी एक से एक बढ़के सुन्दर थीं कलाविद् भी । उसने एक बार सोचा, किसी एक के लिए पटरानी बनाऊँगा तो, बाकी की रूठ जायेगीं, सो अब करे क्या, इसी उधेड़ बुन में था, करवटें बदलते बदलते जाने कब निद्रा देवी की गोद में पहुँच गया, सपने में एक देव आया, उसने राजा के कान में कुछ बुुदबुदाया, राजा जब उठा तो बड़ा खुश था, वह मंत्रियों से बोला, आज कोई सिद्ध पुरुष आयेंगे, उन्हें ससम्मान लेकर आईयेगा,
जैसे ही सिद्ध-पुरुष आये, राजा ने उनका स्वागत किया, और अपनी परेशानी कह सुनाई सपने में आये देव को बाबा ने बुलाया, देव ने आकर दिव्य वस्त्र दिये, जो दिखने में राजसी थे, किन्तु उन्हें चुटकी बजाते ही, मनमाफिक बनाया जा सकता था, राजा ने सभी रानिंयों के लिए कपड़े भेंट कर दिये, और जादुई हैं ये कपड़े ऐसा बता भी दिया, सभी रानिंयाँ अपने अपने महल में आकर चुटकी पे चुटकी बजती रहीं,
अरे, पर ये क्या ? एनकाउंटर… राजा ने सभी रानिंयों को बुलाया, कोई ज्यादा समय न हुआ था यहाँ सिर्फ राजा थे और रानिंयाँ, औेर एक दिव्य आईना था, जिसे देव दे गया था, जिसमें अब तक उन कपड़ों को क्या-क्या बनाया पहनने वाले ने सब दिख जाता था । एक के बाद एक सभी रानिंयाँ शर्माने लगीं । एक सबसे छोटी रानी थी, नाम लाजो यथा नाम तथा गुण । सब रानिंयों ने देखा आईने में एक ही रूप दिखाई दिया साध्वी का, जो इसे बचपन से पसंद था, जब यह गुरुकुल में पढ़ती थी, साध्विंयाँ इसे पढ़तीं थी, राजा ने इसे पटरानी बना दिया । कोई भी रानी विरोध न कर पाई ।
बिल्कुल ऐसा ही हमारे जीवन में घटित होता है, बस
वो आईना भगवान् के घर जाकर के हमारे सामने किया जाने वाला है, सो हमें बखूब ध्यान रखना हैं,
‘के कल शर्मिंदा न होना पड़े ।
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