loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

विधान

23. सहस्त्र नाम विधान

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

वर्धमान मंत्र
ॐ
णमो भयवदो
वड्ढ-माणस्स
रिसहस्स
जस्स चक्कम् जलन्तम्‌ गच्छइ
आयासम् पायालम् लोयाणम् भूयाणम्
जूये वा, विवाये वा
रणंगणे वा, रायंगणे वा
थम्भणे वा, मोहणे वा
सव्व पाण, भूद, जीव, सत्ताणम्
अवराजिदो भवदु
मे रक्ख-रक्ख स्वाहा
ते रक्ख-रक्ख स्वाहा
ते मे रक्ख-रक्ख स्वाहा ।।
ॐ ह्रीं वर्तमान शासन नायक
श्री वर्धमान जिनेन्द्राय नमः
अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।

‘पूजन’
जय आदीश,
जयतु जय-जय, जयतु जय-जय
जय आदीश ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश‌ ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्र !
अत्र अवतर अवतरण संवौषट्
(इति आह्वानन)
अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:
(इति स्थापनम्)
अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्
(इति सन्निधिकरणम्)
(पुष्पांजलिं क्षिपेत्)

लाया नीर ।
प्रासुक क्षीर ।
हेत अशीष ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
जलं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लिये चन्दन ।
ढ़ोक वन्दन ।
हे ! जगदीश ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लिये थाली ।
धान शाली ।
आद-ऋषीश ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लाया न्यार ।
पुष्प पिटार ।
चरित गिरीश ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लिये चरु घृत ।
गो गिर अमृत ।
ईश, अनीश ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पंक्ति प्रदीव ।
भक्ति अतीव ।
लिये इकीस ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
दीपं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ले कस्तूर ।
धूप कपूर ।
दर नत शीश ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
धूपं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लिये श्री फल ।
जोड़ करतल ।
अंगुलिन् बीस ।
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
फलं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हित निध सरब ।
वस विध दरब ।
लिये अमीश !
‘के तेरी वन्दना में,
गुजरें मेरे निशि और दीस ।
जय आदीश ।
ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=कल्याणक अर्घ्य=

कल्याण पन
गर्भ पहला ।
गर्व विरला ।
रतन बर्षण ।
सपन दर्शन ।
सुमन हर्षण ।
कल-याण पन ।।
ॐ ह्रीं आषाढ़-कृष्ण-द्वितीयायां
गर्भ कल्याणक प्राप्ताय
श्री आदि जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जन्म दूजा ।
गगन गूँजा ।
मेर नह्-वन ।
हेर दृग्-अन ।
देर दर्शन ।
कल-याण पन ।।
ॐ ह्रीं चैत्र-कृष्ण-नवम्यां
जन्म कल्याणक प्राप्ताय
श्री आदि जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

त्याग तीजा ।
नैन भींजा ।
वेष मुञ्चन ।
केश लुञ्चन ।
द्वेष रत हन ।
कल-याण पन ।।
ॐ ह्रीं चैत्र-कृष्ण-नवम्यां
दीक्षा-कल्याणक प्राप्ताय
श्री आदि जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान चौथा ।
दुदश कोठा ।
शिशु वत् सुमन ।
पशु पत हिरण ।
जश सत् वचन‌ ।
कल-याण पन ।।
ॐ ह्रीं फागुन-कृष्ण-एकादश्यां
ज्ञान-कल्याणक प्राप्ताय
श्री आदि जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मोक्ष पञ्चम ।
मोक्ष परचम ।
ऋज गत गमन ।
रज हुताशन ।
शत शत नमन ।
कल-याण पन ।।
ॐ ह्रीं माघ-कृष्ण-चतुर्दश्यां
मोक्ष-कल्याणक प्राप्ताय
श्री आदि जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

*विधान प्रारंभ*

श्री मदादि शतम्
नमो नमः

अरिहन ।
श्रीमन् ।।१।।
श्री श्री मते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बिन सीख ।
जिन दीख ।।२।।
श्री स्वयं-भुवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धर्म भूषण ।
कर्म भू ‘मण’ ।।३।।
श्री वृषभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत दुख ।
प्रद सुख ।।४।।
श्री शम्भवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वरदाता ।
सुख साता ।।५।।
श्री शम्भवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वयं ।
दृग् नम ।।६।।
श्री आत्म-भुवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अहन सभा ।
अपनी भा ।।७।।
श्री स्वयं-प्रभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रभ ।
सभ ।।८।।
श्री प्रभवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उपभोग सतत ।
सुख, रोध विगत ।।९।।
श्री भोक्त्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भू-सकल ज्ञान ।
झलकन जहान ।।१०।।
श्री विश्व-भुवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव फिरके ।
कब फिर के ।।११।।
श्री अपुनर्-भवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विश्व झलकन ।
आत्म दर्पन ।।१२।।
श्री विश्वात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वसुधा कुटुम ।
लोकेश तुम ।।१३।।
श्री विश्व-लोकेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विश्व झाँकें ।
चक्षु-आँखें ।।१४।।
श्री विश्वतश्-चक्षुषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत-क्षरण ।
मत, शरण ।।१५।।
श्री अक्षराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विश्व जगत् ।
विद्-युगपत् ।।१६।।
श्री विश्व-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद्या-सकल ।
सद्या सफल ।।१७।।
श्री विश्व-विद्येशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मुखोत्पन्न ।
ज्योत धन्य ।।१८।।
श्री विश्व-योनये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रात दिन ।
घात बिन ।।१९।।
श्री अनश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिख चाले ।
जग सारे ।।२०।।
श्री विश्व-दृश्वने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वानुभूत ।
विभु-विभूत ।।२१।।
श्री विभवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुख प्रदाता ।
शिव ! विधाता ! ।।२२।।
श्री धात्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ईश तुम जग ।
दीप शिव मग ।।२३।।
श्री विश्वेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नयन ।
भुवन ।।२४।।
श्री विश्व-लोचनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जग जग ।
जगमग ।।२५।।
श्री विश्व-व्यापिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विधु-विधुन तमा ।
रवि नमो नमः ।।२६।।
श्री विधवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सृष्टि धरम ।
दृष्टि परम ।।२७।।
श्री वेधसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शाश्वत ।
भास्वत ।।२८।।
श्री शाश्वताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चतुर्मुख ।
अखर सुख ।।२९।।
श्री विश्वतो-मुखाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

षट् छटे कर्म ।
उपदेश धर्म ।।३०।।
श्री विश्व-कर्मणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगज्जेष्ठ ।
महत, श्रेष्ठ ।।३२।।
श्री जगज्-जेष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निस्पृह सनेह ।
गुण नन्त देह ।।३२।।
श्री विश्व-मूर्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अक्ष विजेता ।
ऊरध रेता ।।३३।।
श्री जिनेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृश्य जगत् ।
जयत जयत ।।३४।।
श्री विश्व-दृशे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्राणि मात्र ।
प्राण-नाथ ।।३५।।
श्री विश्व-भूतेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान के-बल ।
भान त्रै-थल ।।३६।।
श्री विश्व-ज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत् स्वामी ।
विगत स्वामी ।।३७।।
श्री अनीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन विजित ।
जिन महित ।।३८।।
श्री जिनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जेय काम ।
जिष्णु नाम ।।३९।।
श्री जिष्णवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धुन सुगम ।
गुण अगम ।।४०।।
श्री अमेयात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धरनी पत ।
करनी हत ।।४१।।
श्री विश्वरीशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धाम धाम ।
एक स्वाम ।।४२।।
श्री जगत्-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मिथ्यातम ।
द्वारे यम ।।४३।।
श्री अनंत-जित नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन अगम ।
चिन्तनम् ।।४४।।
श्री अचिन्-त्यात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन-पवित्र ।
बन्धु मित्र ।।४५।।
श्री भव्य-बंधवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद् मर्म ग्रन्थ ।
गत कर्म बन्ध ।।४६।।
श्री अबन्धनाथ नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भूमि-करम ।
पुरुष प्रथम ।।४७।।
श्री युगादि-पुरुषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नम्र नमन ।
ब्रह्म रमन ।।४८।।
श्री ब्रह्मणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ब्रह्म पञ्च ।
धन ! विरञ्च ।।४९।।
श्री पञ्च-ब्रह्म-मयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव कलि-यान ।
शिव कल्याण ।।५०।।
श्री शिवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उत्तर गुण ।
परिपूरण ।।५१।।
श्री पराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पर-अपर ।
अनुत्तर ।।५२।।
श्री परतराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यम अगम ।
सूक्ष्मम् ।।५३।।
श्री सूक्ष्माय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अर श्रेष्ठ ।
परमेष्ठ ।।५४।।
परमेष्ठिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नित इक समान ।
सत् विद्यमान ।।५५।।
श्री सनातनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

‘आप्’ मोती ।
आप ज्योती ।।५६।।
श्री स्वयं-ज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विजित जम ।
गत जनम ।।५७।।
श्री अजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वर्धमाँ ।
अजन्मा ।।५८।।
अजन्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ब्रिरम ज्ञान ।
जनम थान ।।५९।।
श्री ब्रह्म योनये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जोन ।
कौन ? ।।६०।।
श्री अयोनिजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मोहन ।
औ’ हन ।।६१।।
श्री मोहारि-विजयिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अध्येता ।
अख-जेता ।।६२।।
श्री जेत्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हन कर्म चक्र ।
धन ! धर्म चक्र ।।६३।।
श्री धर्म-चक्रिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परचम ।
दृग् न‌म ।।६४।।
श्री दयाध्वजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्षान्त, दान्त ।
अरि प्रशान्त ।।६५।।
श्री प्रशांतारये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जय जयन्त ।
गुण अनन्त‌ ।।६६।।
श्री अनन्तात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन वचन काय ।
‘अभिजित’ कषाय ।।६७।।
श्री योगिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अम्बर चर्चित ।
गणधर अर्चित ।।६८।।
श्री योगीश्वरार्-चिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निरभिमानी ।
ब्रह्म ज्ञानी ।।६९।।
श्री ब्रह्म-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सम्यक्त्व धृत ।
इक तत्व विद् ।।७०।।
श्री ब्रह्म-तत्वज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद् विद्या द्रुम ।
गत मिथ्यातम ।।७१।।
श्री ब्रह्मोद्या-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यति-यति ।
अधिपति ।।७२।।
श्री यतीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रज कर्म रहित ।
दश धर्म सहित ।।७३।।
श्री शुद्धाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

संबोध ।
गत क्रोध ।।७४।।
श्री बुद्धाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जाननहार ।
आतम-न्यार‌ ।।७५।।
श्री प्रबुद्धात्मने‌ नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रद्धा पथ ।
सिद्धारथ ।।७६।।
श्री सिद्धार्थाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सिद्ध रिद्ध ।
मत प्रसिद्ध ।।७७।।
श्री सिद्ध-शासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निध ।
सिध ।।७८।।
श्री सिद्धाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बुद्ध ग्रन्थ ।
सिद्ध अन्त ।।७९।।
श्री सिद्धान्त-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रति जेय ।
यति ध्येय ।।८०।।
श्री ध्येयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बाध्य घात ।
साध्य हाथ ।।८१।।
श्री सिद्ध साध्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग्‌ जल-धार ।
जग हित कार ।।८२।।
श्री जगद्धिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सहनशील ।
दृग् पनील ।।८३।।
श्री सहिष्णवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! अद्‌भुत ।
गुण अच्युत ।।८४।।
श्री अच्युताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दरद मन्द ।
विगत अन्त ।।८५।।
श्री अनन्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

छॉंव दिवाली ।
प्रभावशाली‌ ।।८६।।
श्री प्रभविष्णवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव उद्‌भव हेत ।
धृत संयम केत ।।८७।।
श्री भवोद्-भवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नम हृद ।
समरथ ।।८८।।
श्री प्रभुष्णवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कहाँ वृद्ध ।
रिध समृद्ध ।।८९।।
श्री अजराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! न जीर्ण ।
गुण न शीर्ण ।।९०।।
श्री अजर्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण निज समान ।।
देदीप्यमान ।।९१।।
श्री भ्राजिष्णवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धी-धर ।
ईश्वर ।।९२।।
श्री धीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अविनश्वर ।
अविनीश्वर ।।९३।।
श्री अव्ययाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ईंधन कर्म आग ।
रवि, भवि-पद्म जाग ।।९४।।
श्री विभावसवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आगमन पुनः ।
ना, गमन सुना‌ ।।९५।।
श्री असंभूष्णवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महज कान्त‌ ।
सहज शान्त ।।९६।।
श्री स्वयंभूष्णवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नय द्रव्यार्थ‌ ।
अनाद सार्थ ।।९७।।
श्री पुरातनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आत्म-विशिष्ट ।
परमोत्कृष्ट ।।९८।।
श्री परमात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नव ज्योति और ।
छव मोति चौंर ।।९९।।
श्री परंज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जल, थल, अम्बर ।
इक परमेश्वर ।।१००।।
श्री त्रिजगत्-परमेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=महार्घ्य=

अर्पण ।
चरणन ।
जल ‘फल’ सु-मरण ।।
ॐ ह्रीं अर्हं श्रीमदादि-
त्रिजगत्-परमेश्वरान्त्य-शतनामधराय
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ॥१॥

श्री दिव्यादि-शतम्
नमो नमः

गुण पुण्य साथ ।
धुन दिव्य नाथ ।।१।।
श्री दिव्य-भाषा-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अन सुन्दर ।
तन मन्दर ।।२।।
श्री दिव्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वाक् अखर ।
पावनतर ।।३।।
श्री पूतवाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पूत-पावन‌ ।
सूत्र-शासन ।।४।।
श्री पूत-शासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आतम पवित्र ।
कल्याण मित्र ।।५।।
श्री पूतात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मुक्ताफल ।
ज्योत अचल ।।६।।
श्री परम-ज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कर्म जेता ।
धर्म नेता ।।७।।
श्री धर्माध्यक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दमन अक्ष ।
भुवन रक्ष ।।८।।
श्री दमीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिव रमा ।
धव नमः ।।९।।
श्री श्रीपतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

संज्ञान ।
भगवान् ।।१०।।
श्री भगवते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पूज भुवन ।
जय अर्हन् ।।११।।
श्री अर्हते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रज करम ।
यम प्रियम् ।।१२।।
श्री अरजसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण स्रज ।
गुम रज ।।१३।।
श्री विरजसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अतिशय ।
शुचि जय ।।१४।।
श्री शुचये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कीर्त धृत ।
तीर्थ कृत ।।१५।।
श्री तीर्थकृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

खेव ‘भी’ ।
केवली ।।१६।।
श्री केवलिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ईश जिना ।
ई’शाना ।।१७।।
श्री ईशानाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दूज प्रीय ।
पूजनीय ।।१८।।
श्री पूजार्हाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शून मान ।
पूर्ण ज्ञान ।।१९।।
श्री स्नातकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तन निर्मल ।
नयन सजल ।।२०।।
श्री अमलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भूर नूर ।
दूर-दूर ।।२१।।
श्री अनंतदीप्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञानमय ।
भान जय ।।२२।।
श्री ज्ञानात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अद्‌भुत ।
बुध खुद ।।२३।।
श्री स्वयं-बुद्धाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रजापाल ।
उर विशाल ।।२४।।
श्री प्रजापतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अभिनन्दन ।
निर्बन्धन ।।२५।।
श्री मुक्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! अनन्त ।
शक्तिवन्त ।।२६।।
श्री शक्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अर घात ।
निर्बाध ।।२७।।
श्री निराबाधाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तनु ।
बिनु ।।२८।।
श्री निष्कलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विनत शीश ।
जगत ईश ।।२९।।
श्री भुवनेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धर्म पून ।
कर्म शून ।।३०।।
श्री निरंजनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् मोती ।
जग ज्योती ।।३१।।
श्री जगज्-ज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वच गूँजे ।
सच दूजे ।।३२।।
श्री निरुक्तोक्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

योग पूर ।
रोग दूर ।।३३।।
श्री निरामयायः नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यति संबल ।
थिति अविचल ।।३४।।
श्री अचलस्थितये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विगत क्षोभ ।
रहित लोभ ।।३४।।
श्री अक्षोभ्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सत्य ।
नित्य ।।३६।।
श्री कूटस्थाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आगमन ।
ना गमन ।।३७।।
श्री स्थाणवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विरहित क्षय ।
सदय हृदय ।।३८।।
श्री अक्षयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन्य धन्य ।
अग्र गण्य ।।३९।।
श्री अग्रण्यै नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तोर छाँव ।
छोर गाँव ।।४०।।
श्री ग्रामण्यै नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उध रेता ।
पथ नेता ।।४१।।
श्री नेत्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद् चोटी ।
कृत पोथी ।।४२।।
श्री प्रणेत्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पतर न्याय ।
अखर दाय ।।४३।।
श्री न्यायशास्त्रविदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान अशेष ।
हितोपदेश‌ ।।४४।।
श्री शास्त्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिव शर्म कर ।
दिव धर्म-धर ।।४५।।
श्री धर्म-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद् मर्म ।
सद्‌धर्म ।।४६।।
श्री धर्म्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परमात्मा ।
धर्मात्मा ।।४७।।
श्री धर्मात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तीर्थकर ।
कीर्तधर ।।४८।।
श्री धर्म तीर्थकृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिव शर्म ।
ध्वज धर्म ।।४९।।
श्री वृषध्वजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कर्म घात ।
धर्म नाथ ।।५०।।
श्री वृषाधीशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अक्ष नम ।
ध्वज धरम ।।५१।।
श्री वृष-केतवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अघ निरस्त ।
धर्म शस्त्र ।।५२।।
श्री वृषायुधाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव धर्म रूप ।
शिव शर्म भूप ।।५३।।
श्री वृषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत द्वेष ।
धर्मेश ।।५४।।
श्री वृष-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन बाल कतार ।
धन ! पालनहार ।।५५।।
श्री भर्त्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वृषभ लखन ।
मन दर्पण ।।५६।।
श्री वृषभांकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुन प्रताप ।
जन्म आप ।।५७।।
श्री वृषोद्भवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रुचि नाभ ।
अमिताभ ।।५८।।
श्री हिरण्य-नाभये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सत् रूप ।
चिद्रूप ।।५९।।
श्री भूतात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रक्षक जग ।
दक्ष सजग ।।६०।।
श्री भूतभृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सद् भावना ।
सत्-साधना ।।६१।।
श्री भूत भावनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् सजल ।
भव सफल ।।६२।।
श्री प्रभवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रणव नाद ।
विभव हाथ ।।६३।।
श्री विभवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दया केत ।
भा समेत ।।६४।।
श्री भास्वते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नव ।
भव ।।६५।।
श्री भवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भाव चैतन्य ।
ठाव अनन्य ।।६६।।
श्री भावाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अवतार ।
भव पार ।।६७।।
श्री भवान्तकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वर्ग गर्व ।
स्वर्ण गर्भ ।।६८।।
श्री हिरण्य-गर्भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अरि घात नाश ।
उर श्री निवास ।।६९।।
श्री श्रीगर्भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रणव उचारा ।
विभव निराला ।।७०।।
श्री प्रभूत-विभवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नव-पून ।
भव शून ।।७१।।
श्री अभवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शुभ लाभ ।
तुम आभ ।।७२।।
श्री स्वयं-प्रभवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

केवल ज्ञान ।
व्याप्त जहान ।।७३।।
श्री प्रभूतात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्योत ख्यात ।
भूत नाथ ।।७४।।
श्री भूतनाथाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत शाम ।
जगत् स्वाम ।।७५।।
श्री जगत्प्रभवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गर्व साध ।
सर्व आद ।।७६।।
श्री सर्वादये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत् ज्ञाता ।
जगत्राता ।।७७।।
श्री सर्वदृशे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

संसार ।
हितकार ।।७८।।
श्री सार्वाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सर्वविद् ।
गर्व जित् ।।७९।।
श्री सर्वज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सर्व दर्शन ।
गर्व निरसन ।।८०।।
श्री सर्वदर्शनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुध नय ज्ञानी ।
इक सब प्राणी ।।८१।।
श्री सर्वात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मोख शीश ।
लोक ईश ।।८२।।
श्री सर्वलोकेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

त्रिभुवन जाना ।
केवल ज्ञाना ।।८३।।
श्री सर्व विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अविचल चित् ।
अपराजित ।।८४।।
श्री सर्वलोकजिते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सन्मत ।
शिव गत ।।८५।।
श्री सुगतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मग अर्चित ।
जग चर्चित ।।८६।।
श्री सश्रुताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ओ ! सुनते हैं ।
जो सुनते हैं ।।८७।।
श्री सुश्रुते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अमित ज्ञानी ।
अमृत वाणी ।।८८।।
श्री सुवाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नूर ।
सूर ।।८९।।
श्री सूरये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चल ग्रन्थ ।
निर्ग्रन्थ ।।९०।।
श्री बहुश्रुताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कीरत-धर ।
तीर्थंकर ।।९१।।
श्री विश्रुताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान रूप पाँव ।
सैर गाँव गाँव ।।९२।।
श्री विश्वतः पादाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लोभ विसर ।
लोक शिखर ।।९३।।
श्री विश्व-शीर्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पावन पवित्र ।
दिव श्रवण शक्त ।।९४।।
श्री शुचि-श्रवसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुख अनन्त ।
विरद नन्त ।।९५।।
श्री सहस्रशीर्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आत्म विद् ।
आप्त बुध ।।९६।।
श्री क्षेत्रज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नन्त दर्शी ।
ढ़ोक फर्सी ।।९७।।
श्री सहस्राक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बल अनन्त ।
सजल पन्थ ।।९८।।
श्री सहस्र-पादे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भर्ता त्रिकाल ।।
अर वैद्य बाल ।।९९।।
श्री भूत-भव्य-भवद्भर्त्रै नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत राग-द्वेष ।
विद्या महेश ।।१००।।
श्री विश्व-विद्या-महेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

-महार्घ्य-

जल लाया ।
फल लाया ।
अपहरने छल-माया ।।
ॐ ह्रीं अर्हं दिव्य-भाषा-पत्यादि-
विश्व-विद्या-महेश्वरान्त्य-
शत-नामधराय
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ॥२॥

श्री स्थविष्ठादि शतम्
नमो नमः

धन ! अमूल ।
गुणस्-थूल ।।१।।
श्री स्थविष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भान सिद्ध ।
ज्ञान वृद्ध ।।२।।
श्री स्थावराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आद ज्येष्ठ ।
साध श्रेष्ठ ।।३।।
श्री ज्येष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अग्र गमन ।
शक्र नमन ।।४।।
श्री प्रष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

माननीय ।
भौन प्रीय ।।५।।
श्री प्रेष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धर विशुद्ध ।
अपर बुद्ध ।।६।।
श्री वरिष्ठधिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कल्प द्रुम ।
नित्य तुम ।।७।।
श्री स्थेष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुरु वशिष्ट ।
गुरु-गरिष्ठ ।।८।।
श्री गरिष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण अपेक्ष ।।
रूप नेक ।।९।।
श्री बंहिष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शगुन रूप ।
गुण अनूप ।।१०।।
श्री श्रेष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ख अगम ।
सूक्षम ।।११।।
श्री अणिष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव सौरभ ।
रव गौरव‌ ।।१२।।
श्री गरिष्ठ-गिरे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विश्वपाल ।
विश्व भाल ।।१३।।
श्री विश्व-भृदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सृष्टि कार ।
दृष्टि न्यार ।।१४।।
विश्व-सृजे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विश्व वन्द्य ।
इक अनिन्द्य ।।१५।।
श्री विश्वेशे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत् रक्ष ।
जयत अक्ष ।।१६।।
श्री विश्व-भुजे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

त्रय भुवन ।
शिरोमण ।।१७।।
श्री विश्व-नायकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लोक व्याप्त ।
ढ़ोक आप्त ।।१८।।
श्री विश्वासिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जग-जग ।
रग-रग ।।१९।।
श्री विश्व-रुपात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रख प्रीत ।
जग जीत ।।२०।।
श्री विश्व-जिते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अन्तक नाम ।
काम तमाम ।।२१।।
श्री विजितांतकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव चूर ।
शिव नूर ।।२२।।
श्री विभवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जयतु जय ।
रहित भय ।।२३।।
श्री विभयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धीर वीर ।
गुण गभीर ।।२४।।
श्री वीराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रहित शोक ।
प्रसिध लोक ।।२५।।
श्री विशोकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जरा बिना ।
महामना ।।२६।।
श्री विजराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अजर ।
अमर ।।२७।।
श्री अजरते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

राग बिन ।
जाग छिन ।।२८।।
श्री विरागाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दुरत ।
विरत ।।२९।।
श्री विरताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सदय हृदय ।
निष्परिग्रह ।।३०।।
श्री असंगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इक पवित्र ।
दृग् निमित्त ।।३१।।
श्री विविक्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ईर्ष्या न ढ़ाह ।
ईश्वरी राह ।।३२।।
श्री वीतमत्सराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जन विनीत ।
करण प्रीत ।।३३।।
श्री विनेय-जनता-बंधवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अघ अशेष ।
याद शेष ।।३४।।
श्री विलीनाशेष-कल्मषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विलीन माया ।
मन, वच, काया ।।३५।।
श्री वियोगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

योग-ध्यान ।
विद् सुजान ।।३६।।
श्री योग-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वेद वेद ।
एक केत ।।३७।।
श्री विदुषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धर्म सृष्ट कार ।
शर्म शिव कतार ।।३८।।
श्री विधात्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विध विधान ।
शुचि महान ।।३९।।
श्री सुविधये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुधी ।
निधी ।।४०।।
श्री सुधिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव क्षमा वन्त ।
शिव रमा कन्त ।।४१।।
श्री क्षांति-भाजे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् पनील ।
सहनशील ।।४२।।
श्री पृथिवी-मूर्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शान्ति पन्थ ।
कान्ति-वन्त ।।४३।।
श्री शांति-भाजे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

माफिक जल ।
इक शीतल ।।४४।।
श्री सलिलात्मकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भाँत पौन ।
संग गौण ।।४५।।
श्री वामु-मूर्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विगत गॉंठ ।
मत विराट ।।४६।।
श्री असंगात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वस कर्म दाह ।
शिव-शर्म राह ।।४७।।
श्री बह्नि-मूर्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

झुलसा अधर्म ।
पद इष्ट पर्म ।।४८।।
श्री अधर्मदहे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कर्म होम ।
आत्म सौम ।।४९।।
श्री सुयज्वने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निज आराधा ।
गत भव बाधा ।।५०।।
श्री यजमानात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निश-दिन जागर ।
तर सुख सागर ।।५१।।
श्री सुत्वने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विश्रुत सुरेन्द्र ।
पूजित जिनेन्द्र ।।५२।।
श्री सुत्राम-पूजिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यज्ञ-ज्ञान ।
गुरु प्रधान ।।५३।।
श्री ऋत्विजे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पत स्वामी ।
यज नामी ।।५४।।
श्री यज्ञपतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लेख दूज ।
एक पूज ।।५५।।
श्री याज्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यज्ञ अंग ।
जित अनंग ।।५६।।
श्री यज्ञांगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विजित तिष्ण ।
इक सहिष्ण ।।५७।।
श्री अमृताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

होम पाप ।
ओम छाप ।।५८।।
श्री हविषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्लेप व्योम ।
रट जयतु ओम ।।५९।।
श्री व्योम-मूर्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रस, रूप, गंध ।
न स्पर्श सन्ध ।।६०।।
श्री अमूर्तात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अघ लेप ऊन ।
पद क्षेप शून ।।६१।।
श्री निर्लेपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत मिथ्यातम ।
निर्मल आतम ।।६२।।
श्री निर्मलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कल्याण मित्र ।
अविचल चरित्र ।।६३।।
श्री अचलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समाँ सोम ।
नमः ओम ।।६४।।
श्री सोम-मूर्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सोम आतम ।
ओम आगम ।।६५।।
श्री सुसौम्यात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तेजो मय ।
जै हो जय ।।६६।।
श्री सूर्य-मूर्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत सभा ।
महत् प्रभा ।।६७।।
श्री महा-प्रभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद् मन्तर ।
थिर अन्तर‌् ।।६८।।
श्री मंत्र-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कर्तार मन्त्र ।
भर्ता अनन्त ।।६९।।
श्री मंत्र-कृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन्त्र युक्त ।
मन विमुक्त ।।७०।।
श्री मंत्रिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मूर्ति मंत्र ।
कीर्ति वन्त ।।७१।।
श्री मंत्र-मूर्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण अगम्य ।
नन्त गम्य ।।७२।।
श्री अनंतगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत बन्धन ।
नत वन्दन ।।७३।।
श्री स्वतंत्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सच आधार ।
रचनाकार ।।७४।।
श्री तंत्र-कृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! विचित्र ।
मन पवित्र‌ ।।७५।।
श्री स्वन्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अन्तक यम ।
अन्त-खतम ।।७६।।
श्री कृतान्तान्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कर्तागम ।
हर्ता-गम ।।७७।।
श्री कृतान्त-कृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सत् ।
कृत ।।७८।।
श्री कृतिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कृत सार्थ ।
सिद्धार्थ ।।७९।।
श्री कृतार्थाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कृत सॉंचे ।
श्रुत वॉंचे ।।८०।।
श्री सत्-कृत्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आचार्य ।
कृत कार्य ।।८१।।
श्री कृत-कृत्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यज्ञ ज्ञान ।
कर्त वान् ।।८२।।
श्री कृत-क्रतवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नित ।
सत् ।।८३।।
श्री नित्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जित मर्ण ।
समशर्ण ।।८४।।
श्री मृत्युंजयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुम ।
यम ।।८५।।
श्री अमृत्यवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यम जित ।
अमरित ।।८६।।
श्री अमृतात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव खतम ।
शिव जनम‌ ।।८७।।
श्री अमृतोद्‌-भवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ब्रह्म लीन ।
भ्रम विहीन ।।८८।।
श्री ब्रह्म-निष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ब्रिरम रूप ।
प्रथम नूप ।।८९।।
श्री परंब्रह्मणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

साध ब्रह्म ।
आद ब्रह्म ।।९०।।
श्री ब्रह्मात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ब्रह्म पथ ।
ब्रह्म रत ।।९१।।
श्री ब्रह्म-संभवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गणधर स्वामी ।
जिनवर नामी ।।९२।।
श्री महा-ब्रह्म-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इक ब्रह्म ज्ञान ।
अधिपत जहान ।।९३।।
श्री ब्रह्मेशे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सिध पद ।
अधिपत ।।९४।।
श्री महा-ब्रह्म-पदेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रसन मुख ।
प्रशम दुख ।।९५।।
श्री सुप्रसन्नाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिन-रात ।
आह्लाद ।।९६।।
श्री प्रसन्नात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धर्म ज्ञान ।
दम प्रधान ।।९७।।
श्री ज्ञान-धर्म-दम-प्रभवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुम कषाय ।
प्रशम दाय ।।९८।।
श्री प्रशमात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पाप शान्त ।
आप कान्त ।।९९।।
श्री प्रशान्तात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुरुष पुराण ।
परुष न वाण ।।१००।।
श्री पुराण-पुरुषोत्-तमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=महार्घ्य=

जल, पुञ्ज अक्षत ।
फल, पुष्प, चरु-घृत ।
भेंटूॅं, समेटूॅं धन पुण्य अक्षत ।।
ॐ ह्रीं अर्हं स्थविष्ठादि-पुराण-पुरुषोत्तमान्त्य-शतनाम
धराय-अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः।।३।।

श्री महा-शोकध्वजादि शतम्
नमो नमः

तर अशोक ।
ध्वज त्रिलोक ।।१।।
श्री महाशोकध्वजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शोक हीन ।
लोक तीन ।।२।।
श्री अशोकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क: ब्रह्मा ।
नि: कम्मा ।।३।।
श्री काय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कृत पवर्ग ।
पन्थ स्वर्ग ।।४।।
श्री स्रष्ट्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आसन पदम ।
माहन धरम ।।५।।
श्री पद्मविष्टराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्षमा धृत ।
रमा पत ।।६।।
श्री पद्मेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बढ़ता कदम ।
रचना पदम ।।७।।
श्री पद्म-संभूतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कँवल नाभ ।
नवल आभ ।।८।।
श्री पद्मनाभ नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कौन तुम सा ।
गौण तमसा ।।९।।
श्री अनुत्तराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पद्य भव ।
पद्म छव‌ ।।१०।।
श्री पद्म-योनये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रकट मर्म ।
जगत्-धर्म ।।११‌।।
श्री जगद्योनये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तप राह ।
तव चाह ।।१२।।
श्री इत्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वन्दन दूज ।
जन-जन पूज ।।१३।।
श्री स्तुत्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

थवन-थवन ।
तव सिमरन ।।१४।।
श्री स्तुतीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विभज भोग ।
भजन जोग ।।१५।।
श्री स्तवनार्हाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वश अक्ष ।
बस दक्ष ।।१६।।
श्री हृषीकेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धृत ध्येय ।
जित-जेय ।।१७‌।।
श्री जित-जेयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कृत क्रिया ।
घृत धिया ।।१८।।
श्री कृत-क्रियाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गण अधिप ।
गुण अधिक ।।१९।।
श्री गणाधिपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गण सिर मौर ।
चउसठ चौंर ।।२०।।
श्री गणज्येष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गणना योग ।
जम ना रोग ।।२१।।
श्री गण्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सातिशय पुन ।
घाति क्षय, धुन ।।२२।।
श्री पुण्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मांझी तरण ।
पाछी पवन ।।२३।।
श्री गणाग्रण्यै नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण गेह ।
जन नेह ।।२४।।
श्री गुणाकराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण सागर ।
करुणाकर ।।२५।।
श्री गुणाम्भोधये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण गुण-धर्म ।
बुध, विद् मर्म ।।२६।।
श्री गुणज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण नायक ।
धन ! ज्ञायक ।।२७।।
श्री गुण-नायकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण आदरिया ।
पुन सावरिया ।।२८।।
श्री गुणादरिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! अभाव ।
गुण विभाव ।।२९।।
श्री गुणोच्छेदिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वैभाविक ।
गुण ना इक ।।३०।।
श्री निगुर्णाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कल्याणी ।
पुन वाणी‌ ।।३१।।
श्री पुण्यगिरे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुन ।
गुण ।।३२।।
श्री गुणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चरण ।
शरण ।।३३।।
श्री शरण्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अनमोल ।
पुन बोल ।।३४।।
श्री पुण्यवाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भावन ।
पावन ।।३५।।
श्री पूताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद् दृष्ट ।
उत्कृष्ट ।।३६।।
श्री वरेण्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण धाम ।
पुन स्वाम ।।३७।।
श्री पुण्य-नायकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शगुन धन्य ।
गुण अगण्य ।।३८।।
श्री अगण्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत मित्र ।
मति पवित्र ।।३९।।
श्री पुण्यधिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सगुन ।
शगुन ।।४०।।
श्री गुण्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुण्य-करण ।
धन्य शरण ।।४१।।
श्री पुण्यकृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पावन ।
शासन ।।४२।।
श्री पुण्यशासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धर्म बाग ।
मण चिराग ।।४३।।
श्री धर्मारामाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

‘नव-नव’ न व्यूह ।
सद्गुण समूह ।।४४।।
श्री गुण-ग्रामाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुण्य-पाप ।
अन्य छाप ।।४५।।
श्री पुण्या-पुण्य-निरोधाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पाप शून ।
दृग् प्रसून ।।४६।।
श्री पापापेताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पाप नगन ।
आप मगन ।।४७।।
श्री विपापात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पाप बिन ।
आप जिन ।।४८।।
श्री विपाप्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कल्मष गुम ।
कल्प दुरुम ।।४९।।
श्री वीत-कल्मषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नेह निस्पृह ।
निष्परिग्रह ।।५०।।
श्री निर्द्वन्द्वाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

द्रुम पथ ।
गुम मद ।।५१।।
श्री निर्मदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

साधो शान्त ।
आद्योपान्त ।।५२।।
श्री शांताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विरहित मोह ।
उपरत द्रोह‌ ।।५३।।
श्री निर्मोहाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उपसर्ग दूर ।
शिव-स्वर्ग नूर ।।५४।।
श्री निरुपद्रवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! झलक ।
बिन पलक ।।५५।।
श्री निर्निमेषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

केवल-ग्रास ।
ललक ह्रास ।।५६।।
श्री निराहाराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हा ! क्रिया ।
ना किया ।।५७।।
श्री निष्क्रियाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्बाधा ।
‘गिर’ साधा ।।५८।।
श्री निरुपप्लवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निष्कलंक ।
मुख मयंक ।।५९।।
श्री निष्कलंकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

एनस्-दुरित ।
निरस्त-रहित ।।६०।।
श्री निरस्तैनसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

याद शेष ।
अघ अशेष ।।६१।।
श्री निर्धूतागसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुन पाप दूर ।
निष्पाप सूर ।।६२।।
श्री निरास्रवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तर-बतर ।
उर नजर ।।६३।।
श्री विशालाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान ज्योति ।
‘भान’-मोति ।।६४।।
श्री विपुलज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उपमा रहित ।
गरिमा अमित ।।६५।।
श्री अतुलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चिन्तन अगम्य ।
वैभव अनन्य ।।६६।।
श्री अचिन्त्य-वैभवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आस्रव शून ।
संवर पून ।।६७।।
श्री सुसंवृताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तन वचन ।
गुप्त मन ।।६८।।
श्री सुगुप्तात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अद्भुत ।
सुध बुध ।।६९।।
श्री सुबुधे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तत्वर नयन ।
सत्वर गमन‌ ।।७०।।
श्री सुनय-तत्त्व-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

केवल ज्ञानी ।
आतम ध्यानी ।।७१।।
श्री एक-विद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद्या समस्त ।
झट सिद्ध-हस्त ।।७२।।
श्री महाविद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रत्यक्ष ज्ञानी ।
अध्यक्ष ध्यानी ।।७३।।
श्री मुनये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

त्रिभुवन स्वामी ।
अन्तर्यामी ।।७४।।
श्री परिवृढाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रक्षक जगत् ।
शिक्षक जगत ।।७५।।
श्री पत्ये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रद्धा सत ।
विद्यापत ।।७६।।
श्री धीशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद्या द्वय ।
सद्या जय ।।७७।।
श्री विद्या-निधये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्षमावान ।
इक प्रमाण ।।७८।।
श्री साक्षिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव फक्र ।
शिव अग्र ।।७९।।
श्री विनेत्रै नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चीर चीर ।
जित अखीर ।।८०।।
श्री विहितान्तकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रक्षक वंशा ।
पक्ष अहिंसा ।।८१।।
श्री पित्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुरु ।
गुरु ।।८२।।
श्री पितामहाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लोक पाल ।
ढ़ोक भाल ।।८३।।
श्री पात्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुचित्त ।
पवित्र ।।८४।।
श्री पवित्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पावन कार ।
तारणहार ।।८५।।
श्री पावनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भवि गत ।
भगवत ।।८६।।
श्री गतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रखवारे ।
शिव द्वारे ।।८७।।
श्री त्रात्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मददगार ।
अगदकार ।।८८।।
श्री भिषग्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव विशिष्ट ।
भवि ! वरिष्ठ ।।८९।।
श्री वर्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वरद ।
विरद ।।९०।।
श्री वरदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

करम गुम ।
परम तुम ।।९१।।
श्री परमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मा-रुष, मा-तुष ।
साहस पौरुष ।।९२।।
श्री पुंसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रचना श्रुत ।
करुणा बुत ।।९३।।
श्री कवये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ध्यान सिद्ध ।
ज्ञान वृद्ध ।।९४।।
श्री पुराण-पुरुषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वर श्रेयस ।
बरसे यश ।।९५।।
श्री बर्षीयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ऋषी ऋषी ।
रिक्ष शशी ।।९६।।
श्री ऋषभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तीर्थ कर्ता ।
कीर्ति धर्ता ।।९७।।
श्री पुरवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जनमान ।
गुणवान ।।९८।।
श्री प्रतिष्ठा-प्रसवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मुक्ति हेत ।
मुक्त खेद ।।९९।।
श्री हेतवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत शुरु ।
जगद्‌गुरु ।।१००।।
श्री भुवनैकपितामहाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=महार्घ्य=

जल भेंटूॅं ।
फल भेंटूॅं ।।
धन्य पुण्य ‘कि समेटूॅं‌ ।।
ॐ ह्रीं अर्हं महाशोकध्वजादि-
भुवनैकपितामहान्य-शत-नामधराय
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ।।४॥

श्री वृक्षलक्षणादि-शतम्
नमो नमः

श्रीमन् भगवन् ।
श्री वृक्ष लखन ।।१।।
श्री श्री वृक्षलक्षणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सूक्ष्म तर ।
अगम नजर ।।२।।
श्री श्लक्ष्णाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पाँवन ।
लाखन ।।३।।
श्री लक्षण्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लक्षण ।
शुभ धन ! ।।४।।
श्री शुभ-लक्षणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लक्ष्य ध्येय ।
अक्ष जेय ।।५।।
श्री निरक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पंकज लोजन ।
संकट-मोचन ।।६।।
श्री पुण्डरीकाक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आत्म गुण‌ ।
पुष्ट, पुन ! ।।७।।
श्री पुष्कलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कमल नयन ।
अमल वयन ।।८।।
श्री पुष्करेक्षणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुगत दाता ।
नुति विधाता ।।९।।
श्री सिद्धिदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन जल्प शून ।
संकल्प पून‌ ।।१०।।
श्री सिद्ध-संकल्पाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बुद्ध ।
सिद्ध ।।११।।
श्री सिद्धात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दर्शन ज्ञान ।
चारितवान ।।१२।।
श्री सिद्ध-साधनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आत्म शोध ।
हाथ बोध ।।१३।।
श्री बुद्ध-बोध्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्रोध विघात ।
बोध-समाध ।।१४।।
श्री महा-बोधने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वर्धमान ।
गुण निधान ।।१५।।
श्री वर्द्धमानाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रिद्धि ।
सिद्धि ।।१६।।
श्री महर्द्धिकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अनतरंग ।
वेद अंग ।।१७।।
श्री वेदांगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समग्र ।
श्रुतज्ञ ।।१८।।
श्री वेद-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मद जेय ।
यत ध्येय ।।१९।।
श्री वेद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दैगम्बर ।
जै अम्बर ।।२०।।
श्री जात-रूपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वर अखर ।
बुध प्रवर ।।२१।।
श्री विदांवराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अन योग ।
अनुयोग ।।२२।।
श्री वेद-वेद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भान आतम ।
स्वानुभौगम ।।२३।।
श्री स्वसं-वेद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

देव द्रुम ।
वेद-गुम ।‌।२४।।
श्री विवेदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वाक् ।
धाक ।।२५।।
श्री वदतांवराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अन्त साथ ।
नाहिं आद ।।२६।।
श्री अनादि-निधनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अक्ष अगोचर ।
अक्षर अजर ।।२७।।
श्री व्यक्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सोला वानी ।
सोना वाणी ।।२८।।
श्री व्यक्त-वाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शासन ।
भा धन ! ।।२९।।
श्री व्यक्त-शासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जुग आद ।
जगन्नाथ ।।३०।।
श्री युगादिकृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

युग अगार ।
सूत्र धार ।।३१।।
श्री युगाधाराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उपाध ।
युगाद ।।३२।।
श्री जगदादिजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जुग करम ।
डग प्रथम ।।३३।।
श्री युगादये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नन्द झिर ।
इन्द्र ! फिर ।।३४।।
श्री अतीन्द्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भीतर कक्ष ।
बाहर अक्ष ।।३५।।
श्री अतीन्द्रियाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मति ।
पति ।।३६।।
श्री धीन्द्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विनत इन्द्र ।
महत् इन्द्र ।।३७।।
श्री महेन्द्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हस्त-गत अगम ।
अस्त गति जनम ।।३८।।
श्री अतीन्द्रियार्थ-दृशे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रति अक्ष दूर ।
प्रत्यक्ष सूर ।।३९।।
श्री अनिन्द्रियाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अहमिन्दर ।
अर्चन स्वर ।।४०।।
श्री अह‌मिन्द्रार्च्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् इन्द्र ।
महित पन्थ ।।४१।।
श्री महेन्द्र-महिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् ।
विनत ।।४२।।
श्री महते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अपगत भव ।
श्रुत अर्णव ।।४३।।
श्री उद्भवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मोख कारण ।
मोह वारण ।।४४।।
श्री कारणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शुद्ध भाव ।
सिद्ध स्वभाव ।।४५।।
श्री कर्त्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! पार ।
संसार ।।४६।।
श्री पारगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव तरण ।
भवि ! शरण ।।४७।।
श्री भव-तारकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नभ अबीर ।
गुण गभीर ।।४८।।
श्री अगाह्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सरगम रूप ।
अगम स्वरूप ।।४९।।
श्री गहनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुप्त मन ।
वाक् तन ।।५०।।
श्री गुह्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बेशकीमति ।
द्वेष-रत इति ।।५१।।
श्री परार्घ्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ईश प्रवर ।
शीश शिखर ।।५२।।
श्री परमेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रिद्ध नन्त ।
सिद्ध वन्त ।।५३।।
श्री अनन्तर्द्धये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रिध अमाप ।
सिद्ध आप ।।५४।।
श्री अमेयर्द्धये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सिद्ध पन्थ ।
रिध अचिन्त्य ।।५५‌।।
श्री अचिन्त्यर्द्धये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ठिया ।
धिया ।।५६।।
श्री समग्र-धिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सर्व प्रधान ।
गर्व पुराण ।।५७।।
श्री प्राग्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मंगल दूज ।
अग्रिम पूज ।।५८।।
श्री प्राग्रहराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ढ़ोक शक्र ।
लोक अग्र ।।५९।।
श्री अभ्यग्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विलक्षण ।
विरद धन ।।६०।।
श्री प्रत्यग्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गणनीय ।
जन प्रीय ।।६१।।
श्री अग्र्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बढ़ आगे ।
बड़भागे ।।६२।।
श्री अग्रिमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सर्व-जेष्ठ ।
वर्य-श्रेष्ठ ।।६३।।
श्री अग्रजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जप ।
तप ।।६४।।
श्री महा-तपसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तेजस् ।
ओजस् ।।६५।।
श्री महा-तेजसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सत् अभिराम ।
व्रत परिणाम ।।६६।।
श्री महो-दर्काय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रीमन्त ।
‘भी’ पन्थ ।।६७।।
श्री महो-दयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिश छोर ।
जश तोर ।।६८।।
श्री महा-यशसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तेज प्रताप ।
ज्ञान अमाप ।।६९।।
श्री महा-धाम्ने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

छल हन्त ।
बलवन्त ।।७०।।
श्री महा-सत्वाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धीरज धर ।
नीरज सर ।।७१।।
श्री महा-धृत्ये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धीर वान ।
‘नीर’ प्राण ।।७२।।
श्री महा-धैर्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रज, रहस हन्त ।
धीरज अनन्त ।।७३।।
श्री महावीर्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नम नयन ।
समशरण ।।७४।।
श्री महा-संपदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विनत फल ।
महत् बल ।।७५।।
श्री महा-बलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् शक्ति ।
अछत भक्ति ।।७६।।
श्री महा-शक्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विगत पोथी ।
महत् ज्योती ।।७७।।
श्री महा-ज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अभूत ।
विभूत ।।७८।।
श्री महा-भूत‌ये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

द्युति-मान ।
कृति ‘भान’ ।।७९।।
श्री महा-द्युतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विनत नत ।
महत् मत ।।८०।।
श्री महा-मतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नीति ।
प्रीति ।।८१।।
श्री महा-नीतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्षमावान ।
रमा ज्ञान ।।८२।।
श्री महा-क्षान्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आंख हया ।
साख दया ।।८३।।
श्री महा-दयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अग्र ।
प्रज्ञ ।।८४।।
श्री महा-प्राज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् भाग ।
सहज जाग ।।८५।।
श्री महा-भागाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत वन्द्य ।।
महत् नन्द ।।८६।।
श्री महा-नंदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत रवि ।
महत् कवि ।।८७।।
श्री महा-कवये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् महान ।
दया निधान ।।८८।।
श्री महा-महसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिश् दश ।
तिस जश ।।८९।।
श्री महा-कीर्त‌ये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महज कान्त ।
सहज शान्त ।।९०।।
श्री महा-कान्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत कषाय ।
महत् काय ।।९१।।
श्री महा-वपुषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दान ।
ज्ञान ।।९२।।
श्री महा-दानाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव शिव यान ।
अर्णव ज्ञान ।।९३।।
श्री महा-ज्ञानाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् योग ।
विरद जोग ।।९४।।
श्री महा-योगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् गुण ।
अमित पुन ।।९५।।
श्री महा-गुणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चरित दूजा ।
महत् पूजा ।।९६।।
श्री महा-महपतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पंचकल्याण ।
विरंच प्रमाण ।।९७।।
श्री प्राप्त महा-कल्याण पंचकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् प्रभु ।
जगत् विभु ।।९८।।
श्री महा-प्रभवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रातिहार ।।
भा-तिन्यार ।।९९।।
श्री महा-प्राति-हार्याधीशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चरणारविन्द ।
नुत शतक इन्द्र ।।
श्री महेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।१००।।

=महार्घ्य=

जल, चन्दन ।
फल, व्यंजन ।
गुल-नन्दन ।
भिंटा रहा ।
मिटा रहा, पल क्रन्दन ।।
ॐ ह्रीं अर्हं वृक्षलक्षणादि-
महेश्वरन्त-शत-नाम धराय-
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ॥५॥

श्री महा-मुन्यादि शतम्
नमो नमः

महत् मुनी ।
गुणित गुणी ।।१।।
श्री महा-मुनये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत भौन ।
महत् मौन ।।२।।
श्री महा-मौनिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शुकल ध्यान ।
सकल ज्ञान ।।३।।
श्री महा-ध्यानिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दम दमन ।
इन्द्रियन ।।४।।
श्री महा-दमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मही खम् ।
महा क्षम ।।५।।
श्री महा-क्षमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वृत सहस तील ।
व्रत महत् शील ।।६।।
श्री महा-शीलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

होम पुन पाप ।
ओम धुन आप ।।७।।
श्री महा-यज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रहित तम ।
महित खम् ।।८।।
श्री महा-मखाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रखत पत ।
अहत् व्रत ।।९।।
श्री महा-व्रत-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महित ।
जगत ।।१०।।
श्री मह्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अछत कान्ति धर ।
जगत् क्षान्ति कर‌ ।।११।।
श्री महा-कांति-धराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिव-धामी ।
दिव स्वामी ।।१२।।
श्री अधिपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दूर दुराव ।
मैत्री भव ।।१३।।
श्री महा-मैत्री-मयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अपरिमित ।
गुण सहित ।।१४।।
श्री अमेयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कषाय सोख ।
उपाय मोख ।।१५।।
श्री महोपायाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ओज अनूप ।
तेजस् रूप ।।१६।।
श्री महोमयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

करुणा लेख ।
शरणा एक ।।१७।।
श्री महा-का-रुणिकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जाननहार ।
माहन सार ।।१८।।
श्री मंत्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हस्तगत ।
मन्त्र पथ ।।१९।।
श्री महा-मंत्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सन्मति ।
ध‌न ! यति ।।२०।।
श्री महा-यतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुन भव्य ।
धुन दिव्य ।।२१।।
श्री महा-नादाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तुरही ।
सुर’भी ।।२२।।
श्री महा-घोषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शत इन्द्र पूज ।
श्रुत सिन्ध दूज ।।२३।।
श्री महेज्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सिरमौर ।
छव गौर ।।२४।।
श्री महसां-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यज्ञ ज्ञान ।
प्रज्ञ भान ।।२५।।
श्री महा-ध्वरधराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वीर्य ज्येष्ठ तुम ।
सर्वश्रेष्ठ तुम ।।२६।।
श्री धुर्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सदय ।
हृदय ।।२७।।
श्री महौ-दार्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रवचन ।
धन ! धन ! ।।२८।।
श्री महिष्ठ-वाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महान ।
पुमान ।।२९।।
श्री महात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ओजस्वी ।
तेजस्वी ।।३०।।
श्री महसां-धाम्ने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ऋषि ईश जगत ।
निश-दीस जयत ।।३१।।
श्री महर्षये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव पूज ।
शिव गूंज ।।३२।।
श्री महितोदयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गज महाक्लेश ।
अंकुश अशेष ।।३३।।
श्री महा-क्लेशां-कुशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शूर वीर ।
नूर धीर ।।३४।।
श्री शूराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शक्र, यति ।
चक्रपति ।।३५।।
श्री महा-भूतपये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कह हहा ! राग ।
गुरु महाभाग ।।३६।।
श्री गुरवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पराक्रमी ।
शमी दमी ।।३७।।
श्री महा-पराक्रमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अविनाशी ।
शिव वासी ।।३८।।
श्री अनन्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्रोध अमीत ।
बोध सुमीत ।।३९।।
श्री महा-क्रोध-रिपवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जित ।
चित ।।४०।।
श्री वशिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव पार ।
शिव द्वार ।।४१।।
श्री महा-भवाब्धि-संतारिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! छार छार ।
मोहन पहाड़ ।।४२।।
श्री महा-मोहाद्रि-सूदनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अवतार पुन |
भण्डार गुण ।।४३।।
श्री महा-गुणाकराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जित कोध ।
जुत बोघ ।।४४।।
श्री क्षान्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तज रति नश्वर ।
यति योगीश्वर ।।४५।।
श्री महा-योगीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परिणाम शान्त ।
मुद्रा प्रशान्त ।।४६।।
श्री शमिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सद्ध्यान ।
निर्वाण ।।४७।।
श्री महा-ध्यान-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चिद्रूप ।
चल तूप ।।४८।।
श्री ध्यात महा-धर्माय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सत ।
व्रत ।।४९।।
श्री महा-व्रताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हत कर्म ।
रत धर्म ।।५०।।
श्री महा-कर्मारिघ्ने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद् आतम ।
परमातम ।।५१।।
श्री आत्मज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महित देव ।
महत् देव ।।५२।।
श्री महा-देवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समरथ ।
सन्मत ।।५३।।
श्री महेशित्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हत अशेष ।
रागद्वेष ।।५४।।
श्री सर्वक्लेशापहाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अर घात ।
वर साध ।।५५।।
श्री साधवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शोष ।
दोष ।।५६।।
श्री सर्व-दोष-हराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पाप विघात ।
‘हर’ विख्यात ।।५७।।
श्री हराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बढ़ मयंक ।
गुण असंख्य ।।५८।।
श्री असंख्येयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सख्ती विसर ।
शक्ती अखर ।।५९।।
श्री अप्रमेयात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परम ।
प्रशम ।।६०।।
श्री शमात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ममता हन ।
समता-धन ।।६१।।
श्री प्रशमाकराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वर्य योगी ।
सर्व योगी ।।६२।।
श्री सर्व-योगीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सन्तन प्रथम ।
चिन्तन अगम ।।६३।।
श्री अचिन्त्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भाव-श्रुत रूप ।
भावन अनूप ।।६४।।
श्री श्रुतात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हस्तगत ।
तत्त्व सत् ।।६५।।
श्री विष्टर-श्रवसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समरसी ।
मन वशी ।।६६।।
श्री दान्तात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् नम कीर्त ।
संयम तीर्थ ।।६७।।
श्री दम-तीर्थेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

योगमय ।
निरामय ।।६८।।
श्री योगात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान पैर ।
भौन सैर ।।६९।।
श्री ज्ञान-सर्वगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जग विमुख ।
जुग प्रमुख ।।७०।।
श्री प्रधानाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान मयी ।
मान जयी ।।७१।।
श्री आत्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सत् कार्य ।
पथ आर्य ।।७२।।
श्री प्रकृतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान रमा ।
नमो नम: ।।७३।।
श्री परमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जनम ।
परम ।।७४।।
श्री परमोदयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निरसन ।
बन्धन ।।७५।।
श्री प्रक्षीण-बंधाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मदन ।
हनन ।।७६।।
श्री कामारये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वरदान ।
कल्याण ।।७७।।
श्री क्षेम-कृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रेम-द्वेष ना ।
क्षेम देशना ।।७८।।
श्री क्षेम-शासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ओंकार ।
भौ हार ।।७९।।
श्री प्र-णवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विनय ।
निलय ।।८०।।
श्री प्र-णताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जीवन
भी’धन ।।८१।।
श्री प्राणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भाँत मातृ ।
प्राण दातृ ।।८२।।
श्री प्राण-दाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रणत शीश ।
जगत् ईश ।।८३।।
श्री प्र-णतेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नमः नित ।
प्रमाणित ।।८४।।
श्री प्रमाणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नन्त ज्ञान ।
निधि प्रधान ।।८५।।
श्री प्र-णिधये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सांझ तीन ।
जप प्रवीण ।।८६।।
श्री दक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सरल ।
सजल ।।८७।।
श्री दक्षिणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

त्याग ।
याग ।।८८।।
श्री अध्वर्यवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पथ प्रदर्शी ।
आत्म दर्शी ।।८९।।
श्री अध्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अकषाय ।
सुखदाय ।।९०।।
श्री आनन्दाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रदानंद ।
चिदानंद ।।९१।।
श्री नन्दनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निष्पन्दन ।
निर्बन्धन ।।९२।।
श्री नन्दाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नन्द प्रीय ।
वन्दनीय ।।९३।।
श्री वंद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विगत निंध ।
विरत बंध ।।९४।।
श्री अनिंद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अभिनन्दन ।
शिव स्यंदन ।।९५।।
श्री अभि-नंदनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

काम हन्त ।
जै महन्त ।।९६।।
श्री का-मघ्ने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्दाम ।
प्रद काम ।।९७।।
श्री काम-दाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जित नयन ।
चित करण ।।९८।।
श्री काम्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वास्थ शून ।
मनरथ पून ।।९९।।
श्री काम-धेनवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अरिंजय ।
विघन क्षय ।।१००।।
श्री अरिंजयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=महार्घ्य=
डाल धन भेंट ।
शिव कण भेंट ।
भाल मण भेंट ।
बाल मन हेत ।।
ॐ ह्रीं अर्हं महामुन्यादि-
अरिंजयान्त-शत-नाम धराय-
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ॥६॥

श्री असंस्कृतादि-शतम्
नमो नमः

असंस्कृत ।
सुसंस्कृत ।।१।।
श्री असंस्कृत-सुसंस्काराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विरख छांव ।
गत विभाव ।।२।।
श्री प्राकृताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विकार ।
विदार ।।३।।
श्री वैकृतांतकृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अन्त ।
हन्त ।।४।।
श्री अंत-कृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वचन कान्त ।
मन प्रशान्त ।।५।।
श्री कांत-गवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अन्तर् ।
सुन्दर ।।६।।
श्री कांताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हाथन हाथ ।
राखत बात ।।७।।
श्री चिंता-मणये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव दातृ ।
शिव यातृ ।।८।।
श्री अभीष्टदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जित ।
चित ।।९।।
श्री अजिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जित काम ।
जिन नाम ।।१०।।
श्री जित-कामारये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अमृत ।
अमित ।।११।।
श्री अमिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उपमा रहित ।
महि’मा सहित ।।१२।।
श्री अमित-शासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कुप् ।
चुप ।।१३।।
श्री जित-क्रोधाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बिन शस्त्र ।
जित शत्र ।।१४।।
श्री जितामित्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

काम-क्लेश ।
नाम शेष ।।१५।।
श्री जितक्लेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यम ।
नम ।।१६।।
श्री जितांतकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण सेव ।
जिन देव ।।१७।।
श्री जिनेन्द्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सानन्द ।
ध्याँ पन्थ ।।१८।।
श्री परमानन्दाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मुनि नाथ ।
धुनि ख्यात ।।१९।।
श्री मुनीन्द्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दुन्दुभ गभीर ।
धन ! धीर वीर ।।२०।।
श्री दुंदु-भिस्वनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महत् देव ।
निरत सेव ।।२१।।
श्री महेन्द्र-वंद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

योगिराज ।
शिव जहाज ।।२२।।
श्री योगीद्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यति ।
पति ।।२३।।
श्री यतीन्द्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नाभि नन्दन ।
आदि वन्दन ।।२४।।
श्री नाभि-नंदनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुत नाभ ।
अमिताभ ।।२५।।
श्री नाभेयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नाभिज ।
भा द्विज ।।२६।।
श्री नाभि-जाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अजात ।
अनाद ।।२७।।
श्री अजाताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ऋत ।
वृत ।।२८।।
श्री सुव्रताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मरहम
मन नम ।।२९।।
श्री मनवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत तम ।
उत्तम ।।३०।।
श्री उत्तमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परम पवित्र ।
अगम चरित्र ।।३१।।
श्री अभेद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत विनाश ।
विगत हास ।।३२।।
श्री अनत्ययाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अनशन ।
व्रत, धन ।।३३।।
श्री अनाश्वते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिव अधि ।
नव निधि ।।३४।।
श्री अधिकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुरुवर ।
सुधिधर ।।३५।।
श्री अधि-गुरवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धिया ।
‘दिया’ ।।३६।।
श्री सुगिरे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मेघा ।
मेधा ।।३७।।
श्री सुमेधसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

झुका यम ।
पराक्रम ।।३८।।
श्री विक्रमिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अभिरामी ।
भवि ! स्वामी ।।३९।।
श्री स्वामिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत अनादर ।
ऋत दिवाकर ।।४०।।
श्री दुराधर्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अनबन ।
विषयन ।।४१।।
श्री निरुत्सुकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अशेष ।
विशेष ।।४२।।
श्री विशिष्टाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिष्ट ।
पुष्ट ।।४३।।
श्री शिष्ट-भुजे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सदाचारी ।
दया धारी ।।४४।।
श्री शिष्टाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

किरण आश ।
शगुन राश ।।४५।।
श्री प्रत्ययाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धरोहर ।
मनोहर ।।४६।।
श्री कामनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पाप ।
कॉंप ।।४७।।
श्री अनघाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जिनरथ नेमी ।
निश दिन क्षेमी ।।४८।।
श्री क्षेमिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हेम देह ।
क्षेम गेह ।।४९।।
श्री क्षेमं-कराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जय जय ।
अक्षय ।।५०।।
श्री अक्षयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्षेम स्वभावी ।
गत बेताबी ।।५१।।
श्री क्षेम-धर्म-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शमी ।
क्षमी ।।५२।।
श्री क्षमिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परम प्रबुद्ध ।
अगम अबुद्ध ।।५३।।
श्री अग्राह्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान गम्य ।
भान रम्य ।।५४।।
श्री ज्ञान-निग्राह्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ध्यान ।
ज्ञान ।।५५।।
श्री ज्ञान-गम्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पश्चिम, उत्तर‌ ।
दक्ष, निरुत्तर ।।५६।।
श्री निरुत्तराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुण्यवान ।
धन ! निधान ।।५७।।
श्री सुकृतिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अक्षरन ।
अवतरण ।।५८।।
श्री धातवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पूजन योग ।
सूदन भोग ।।५९।।
श्री इज्यार्हाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जय ।
नय ।।६०।।
श्री सुनयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रमा निवास ।
गृह विश्वास‌ ।।६१।।
श्री श्री-सु-निवासाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चतुरानन ।
हितु पावन‌ ।।६२।।
श्री चतुराननाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चतुर मुख ।
अजड़ रुख ।।६३।।
श्री चतुर्वक्त्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिश् दिश् धन ! ।
मुख दर्शन ।।६४।।
श्री चतुरास्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चार मुख ।
न्यार सुख ।।६५।।
श्री चतुर्मुखाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पथ दिव ।
सत् शिव ।।६६।।
श्री सत्यात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रद्धानी ।
‘स‌द्’ ज्ञानी ।।६७।।
श्री सत्य-विज्ञानाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

साँची ।
वाँची ।।६८।।
श्री सत्य-वाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रत रोष ना ।
सत् देशना ।।६९।।
श्री सत्य-शासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निश-दिन साथ ।
आशीर्वाद ।।७०।।
श्री सत्याशिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सत् खोज ।
गत बोझ ।।७१।।
श्री सत्य-संधानाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सतरूप ।
चिद्रूप ।।७२।।
श्री सत्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रत ।
सत् ।।७३।।
श्री सत्य-परायणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चिर ।
थिर ।।७४।।
श्री स्थेयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्थूल ।
चूल ।।७५।।
श्री स्थवीयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समीप ।
प्रदीप ।।७६।।
श्री नेदीयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पाप दूर ।
आप सूर ।।७७।।
श्री दवीयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रिध दूर-पर्श ।
रिध दूर-दर्श ।।७८।।
श्री दूर-दर्शनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अणु ।
तनु ।।७९।।
श्री अणोरणीयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नगण ।
अनण ।।८०।।
श्री अनणवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुरु श्रेष्ठ ।
पुरु जयेष्ठ ।।८१।।
श्री गरीय-सामाद्य-गुरवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

संयोग
धन ! योग ।।८२।।
श्री सदा-योगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बन्ध रोध ।
नन्द भोग ।।८३।।
श्री सदा-भोगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्दोष ।
संतोष ।।८४।।
श्री सदा-तृप्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिवस्वरुप ।
दिव अनूप ।।८५।।
श्री सदा-शिवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नित ।
गत ।।८६।।
श्री सदा-गतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सदा ।
मुदा ।।८७।।
श्री सदा-सौख्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मुख मुख ।
प्रद सुख ।।८८।।
श्री सु-मुखाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रद्धा अन ।
विद्या धन ! ।।८९।।
श्री सदा-विद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रतिनित ।
समुदित ।।९०।।
श्री सहोदयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण कोष ।
धुन घोष ।।९१।।
श्री सु-घोषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उर सौम ।
स्वर ओम् ।।९२।।
श्री सौम्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दुख हर्ता ।
सुख कर्ता ।।९३।।
श्री सुख-दाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुहित ।
सहित ।।९४।।
श्री सुहिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भीतर ।
भी’तर ।।९५।।
श्री सुहृदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मिथ्यादृष्ट ।
श्रद्धा गुप्त ।।९६।।
श्री सुगुप्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुप्त धार ।
मुक्त पार ।।९७।।
श्री गुप्ति-भृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जनजन ।
रक्षण ।।९८।।
श्री गोप्त्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अध्यक्ष ।
‘अधि’ अक्ष ।।९९।।
श्री लोकाध्यक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पक्ष वमन ।
अक्ष दमन ।।१००।।
श्री दमेश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=महार्घ्य=
जल-कण भिंटा रहा ।
चन्दन भिंटा रहा ।
व्यंजन भिंटा रहा ।
बंधन हटा रहा ।।
ॐ ह्रीं अर्हं असंस्कृतादि-दमीश्वरान्त्य-
शत-नाम धराय-
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ॥७॥

श्री बृहादादि शतम्
नमो नमः

बृहद् मति ।
वृहस्पति ।।१।।
श्री बृहद्-वृहस्पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन प्रशस्त ।
वचन सिद्ध ।।२।।
श्री वाग्मिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सच पथ ।
वच पत ।।३।।
श्री वाचस्पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धी ।
‘भी’ ।।४।।
श्री उदार-धिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! ।
मन ।।५।।
श्री मनीषिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मति ।
सति ।।६।।
श्री धिषणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वच ।
सच ।।७।।
श्री धीमते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बुद्ध स्वाम ।
सिद्ध धाम ।।८।।
श्री शेमुषीशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गिरा ।
निरा ।।९।।
श्री गिरां-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

एक भूप ।
नेक रूप ।।१०।।
श्री नैक-रूपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उत्तुंग ।
नय श्रृंग ।।११।।
श्री नयोत्तुंगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण अनेक ।
धन ! विवेक ।।१२।।
श्री नैकात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विज्ञ मर्म ।
नेक धर्म ।।१३।।
श्री नैक-धर्मकृत नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अगम बाल ।
मत मराल ।।१४।।
श्री अविज्ञेयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विरहित नर्क ।
तर्क-वितर्क ।।१५।।
श्री अप्रतक्यत्मिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विज्ञ ।
कृत्य‌ ।।१६।।
श्री कृतज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परिभाषा ।
अर आसां ।।१७।।
श्री कृत-लक्षणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जीत गुमान ।
भीतर ज्ञान ।।१८।।
श्री ज्ञान-गर्भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन हृदय ।
दयामय ।।१९।।
श्री दया-गर्भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गरभ क्षण ।
झिर रतन ।।२०।।
श्री रत्न-गर्भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तेजोराश ।
दिव्य प्रकाश ।।२१।।
श्री प्रभा-स्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पद्म भॉंत ।
गर्भ ख्यात ।।२२।।
श्री पद्म-गर्भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गर्भ ज्ञान ।
गति जहान ।।२३।।
श्री जगद्‌-गर्भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समय गरभ ।
स्वर्ण सुरग ।।२४।।
श्री हेम-गर्भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विहर मन ।
सुदर्शन ।।२५।।
श्री सु-दर्शनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समवशरण ।
विभव रतन ।।२६।।
श्री लक्ष्मी-वते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

देव चार ।
खेव पार ।।२७।।
श्री त्रि-दशाध्यक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जड़ दूर ।
दृढ़ भूर ।।२८।।
श्री दृढ़ीयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इन-स्वाम ।
निष्काम ।।२९।।
श्री इनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समरथवान ।
उपरत मान ।।३०।।
श्री ईशित्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चित हरण ।
जित मदन ।।३१।।
श्री मनो-हराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अंग अंग ।
रंग संग ।।३२।।
श्री मनो-ज्ञांगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नीरज ऋत ।
धीरज धृत ।।३३।।
श्री धीराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अगम अपार ।
आगम न्यार ।।३४।।
श्री गम्भीर-शासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव धर्म तूप ।
शिव शर्म रूप ।।३५।।
श्री धर्म-यूपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सदा जाग ।
दया याग ।।३६।।
श्री दया-यागाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धर्म नेम ।
कर्म क्षेम ।।३७।।
श्री धर्म-नेमये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इन ।
मुन ।।३८।।
श्री मुनीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नम्र शक ।
धर्म चक्र ।।३९।।
श्री धर्म-चक्रायुधाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण क्रीड़ाकर ।
पीड़ा अपहर ।।४०।।
श्री देवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कर्म हन्त ।
धर्म-वन्त ।।४१।।
श्री कर्मघ्ने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्षय दोष ।
जय घोष ।।४२।।
श्री धर्म-घोषणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वार्थ वमन ।
सार्थ वचन ।।४३।।
श्री अमोघ-वाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आज्ञा ते ।
सिर माथे ।।४४।।
श्री अमोघाज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निच्छल ।
निर्मल ।।४५।।
श्री निर्मलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पावन मनोग ।
शासन अमोघ ।।४६।।
श्री अमोघ-शासनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत् अन्दर ।
सुभग सुन्दर ।।४७।।
श्री सु-रुपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मग ध्यान ।
भगवान् ।।४८।।
श्री सु-भगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुण अनुरागी ।
अवगुण त्यागी ।।४९।।
श्री त्यागिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

समय ज्ञाता ।
अभय दाता ।।५०।।
श्री समय-ज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जमा, दान ।
समाधान ।।५१।।
श्री समाहिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चित ।
थित ।।५२।।
श्री सुस्-थिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हा ! भोग ।
आरोग ।।५३।।
श्री स्वास्थ्य-भाजे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्व स्थ ।
स्वस्थ्य ।।५४।।
श्री स्वस्थाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत रज पन्थ ।
दिग्गज सन्त ।।५५।।
श्री नीरजस्काय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत ‘धव’ पति ।
अर्णव श्रुति ।।५६।।
श्री निरुद्धवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुन पाप गुम ।
निर्लेप तुम ।।५७।।
श्री अलेपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! निष्कलंक ।
त्रिभुवन मयंक ।।५८।।
श्री निष्कलंकात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चिराग ।
विराग ।।५९।।
श्री वीत-रागाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रीत ।
वीत ।।६०।।
श्री गतस्पृहाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

करण वश ।
गगन जश ।।६१।।
श्री वश्येन्द्रियाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कर्म मुक्त ।
धर्म युक्त ।।६२।।
श्री विमुक्तात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दुश्मन ।
न भुवन ।।६३।।
श्री निःसपत्नाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अभिजित ।
खम् चित ।।६४।।
श्री जितेन्द्रियाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परिणति शान्त ।
सहज प्रशान्त ।।६५।।
श्री प्रशांताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सहजो सिद्ध ।
तेजो रिद्ध‌ ।।६६।।
श्री अनन्त-धामर्षये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जश अविचल ।
वस मंगल ।।६७।।
श्री मंगलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अतिचार ।
यम द्वार ।।६८।।
श्री मलघ्ने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अवगुण विलग ।
वन्दन अनघ ।।६९।।
श्री अनघाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

माफिक खुद ।
करुणा बुत ।।७०।।
श्री अनीदृशे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उपमा जोग ।
प्रतिमा योग ।।७१।।
श्री उपमा-भूताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भाग स्वरूप ।
जाग अनूप ।।७२।।
श्री दिष्टये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भाग-दैव ।
भा-सदैव ।।७३।।
श्री दैवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गो-भूमि छार ।
अब नभ विहार ।।७४।।
श्री अगोचराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रूप परश ।
गन्ध न रस ।।७५।।
श्री अमूर्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अखीर ।
शरीर ।।७६।।
श्री मूर्तिमते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

एक रूप ।
अर अनूप ।।७७।।
श्री एकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अभिलेख ।
गुण-नेक ।।७८।।
श्री नैकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् आत्म जोड़ ।
तज तत्त्व और ।।७९।।
श्री नानैक-तत्त्वदृशे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तज कर माया ।
आतम ध्याया ।।८०।।
श्री अध्यात्म-गम्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मिथ्यातम ।
दृष्टि अगम ।।८१।।
श्री अगम्यात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

योग विदु ।
लोक हितु ।।८२।।
श्री योग-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वन्दित‌ ।
तप धृत ।।८३।।
श्री योग-वंदिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत् व्याप्त ।
महत आप्त ।।८४।।
श्री सर्वत्रगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सर्वदा ।
नित सदा ।।८५।।
श्री सदा-भाविने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विषय पदारथ ।
विद् प्रति भारत ।।८६।।
श्री त्रिकाल-विषयार्थ-दृशे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रशम-कर ।
विष विहर ।।८७।।
श्री शंकराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुखदाई ।
खुद घॉंई ।।८८।।
श्री शंवदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

करण ।
दमन ।।८९।।
श्री दांताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इक दमी ।
दृग् नमी ।।९०।।
श्री दमिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्ष्मा क्षमा ।
नमो नमः ।।९१।।
श्री क्षांति-परायणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अधिपत ।
निधि सत् ।।९२।।
श्री अधिपाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आनन्द परम ।
सानन्द धरम‌ ।।९३।।
श्री परमानंदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परमातम ।
विद् आतम ।।९४।।
श्री परात्मज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रेष्ठतर ।
ज्येष्ठवर ।।९५।।
श्री परात्पराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रिय जन जन ।
स्वामी धन ।।९६।।
श्री त्रिजगद्-बल्लभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पूजन जोग ।
दूज मनोग ।।९७।।
श्री अभ्यर्च्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मंगलदाता ।
जगत विधाता ।।९८।।
श्री त्रि-जगन्मंगलोदयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इन्द्र इन्द्र ।
जगत् वन्द्य ।।९९।।
श्री त्रिजगत्पति-पूज्यांघ्रये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लोक अग्र ।
ढ़ोक शक्र ।।१००।।
श्री त्रिलोकाग्र-शिखा-मणये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=महार्घ्य=

फुल्वा वन बजे ।
दिवा अनबुझे ।
भेंट सविनय तुझे,
अपना ले मुझे ।।
ॐ ह्रीं अर्हं बृहादादि-त्रिलोकाग्र-
शिखामण्यन्य-शत-नाम-धराय-
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ॥८॥

श्री त्रिकाल-दर्श्यादि-शतम्
नमो नमः

त्रिकाल दर्शन ।
समान दर्पण ।।१।।
श्री त्रिकाल-दर्शिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत् ढ़ोक ।
मुकुट लोक ।।२।।
श्री लोकेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

त्रिभुवन पाल ।
हृदय विशाल ।।३।।
श्री लोक-धात्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वरदाई ।
व्रत थाई ।।४।।
श्री दृढ‌-व्रताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बृहद् ।
जगत ।।५।।
श्री सर्व-लोकातिगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दूज ।
पूज ।।६।।
श्री पूज्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आरती ।
सारथी ।।७।।
श्री सर्व-लोकैक-सारथये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दाता दीन ।
इक प्राचीन ।।८।।
श्री पुराणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव सार्थ भव्य ।
पुरुषार्थ लब्ध ।।९।।
श्री पुरुषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गौरव ।
पूरव ।।१०।।
श्री पूर्वाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अंगपूर्व ।
कृत अपूर्व ।।११।।
श्री कृतपूर्वांग-विस्तराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दैव हाथ ।
देव आद ।।१२।।
श्री आदि-देवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुरान ।
प्रधान ।।१३।।
श्री पुराणाद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुरुदेव ।
गुरुदेव ।।१४।।
श्री पुरु-देवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रथम देव ।
धरम सेव ।।१५।।
श्री अधि-देवतायै नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

युग युग ।
इक मुख ।।१६।।
श्री युग-मुख्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

युग प्रथम ।
नयन नम ।।१७।।
श्री युगज्जेष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

युग विशेष ।
सदुपदेश ।।१८।।
श्री युगादिस्-थिति-देशकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निस्संदेह ।
स्वर्ण देह ।।१९।।
श्री कल्याण-वर्णाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कल्याण ।
कल यान ।।२०।।
श्री कल्याणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तज भोग ।
नीरोग ।।२१।।
श्री कल्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रेयस कारी ।
लक्षण धारी ।।२२।।
श्री कल्याण-लक्षणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दुख इति ।
सुप्रकृति‌ ।।२३।।
श्री कल्याण-प्रकृतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आत्म वर्ण ।
दीप्त स्वर्ण ।।२४।।
श्री दीप्र-कल्याणात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कल्मष दूर ।
समरस ‘तूर’ ।।२५।।
श्री वि-कल्मषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मयंक पूनम ।
कलंक शून ।।२६।।
श्री वि-कलंकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निष्पृह नेह ।
देह विदेह ।।२७।।
श्री कलातीताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कलिल हत ।
सलिल वत् ।।२८।।
श्री कलिलघ्नाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कलाधारी ।
बला हारी ।।२९।।
श्री कला-धराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निरत सेव ।
जगत देव ।।३०।।
श्री देवदेवाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नगन साध ।
जगन्नाथ ।।३१।।
श्री जगन्नाथाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत बन्ध ।
विगत बन्ध ।।३२।।
श्री जगद्बन्धवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत विभु ।
महत् प्रभु ।।३३।।
श्री जगद्विभवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

न रत न द्वेषी ।
जगत् हितैषी ।।३४।।
श्री जगद्धितैषिणे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इह पर जग ।
जय लोकग ।।३५।।
श्री लोकज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जयतु जय आप्त ।
जगत् संव्याप्त ।।३६।।
श्री सर्वगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् दिग्गज ।
जग अग्रज ।।३७।।
श्री जगदग्रजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चराचर ।
सुगोचर ।।३८।।
श्री चराचर-गुरवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दुरित सुप्त ।
समिति गुप्त ।।३९।।
श्री गोप्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गूढ़ स्वरूप ।
अमूढ़ रूप ।।४०।।
श्री गूढ़ात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गूढ़ गोचर ।
द्यु अगोचर ।।४१।।
श्री गूढ़-गोचराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विद्या हाथ ।
सद्या जात ।।४२।।
श्री सद्योजाताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रकाश रूप ।
विकास तूप ।।४३।।
श्री प्रकाशात्मने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अग्नि भाँत ।
दीप्ति गात ।।४४।।
श्री ज्वलज्ज्वलन-सत्प्रभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भाँत सूर ।
गात नूर ।।४५।।
श्री आदित्य-वर्णाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भा तन ।
सुवरण ।।४६।।
श्री भर्माभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विभा ।
प्रभा ।।४७।।
श्री सु-प्रभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बनक ।
कनक ।।४८।।
श्री कनक-प्रभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वर्ण ।
स्वर्ण ।।४९।।
श्री सुवर्ण-वर्णाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इक भौन ।
छव सोन ।।५०।।
श्री रुक्माभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नूर ज्योति ।
सूर कोटि ।।५१।।
श्री सूर्य-कोटि-सम-प्रभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

संतप्त स्वर्ण ।
तन यष्टि वर्ण ।।५२।।
श्री तपनीय-निभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उन्नत ।
तन कद ।।५३।।
श्री तुंगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बाल सूर ।
भाल नूर ।।५४।।
श्री बालार्काभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हुतासन ।
प्रभा तन ।।५५।।
श्री अनल-प्रभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

साँझ घन ! ।
समाँ तन ।।५६।।
श्री संध्याभ्र-बभ्रवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुत नाभ ।
हेमाभ ।।५७।।
श्री हेमा-भाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तन तुम वर्ण ।
तप्त सुवर्ण ।।५८।।
श्री तप्त-चामीकर-च्छवये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वर्ण तप्त ।
वर्ण लब्ध ।।५९।।
श्री निष्टप्त-कन-कच्छाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

छव तन ।
कंचन ।।६०।।
श्री कनत्कांचन-सन्निभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हिरण ।
वरण ।।६१।।
श्री हिरण्य-वर्णाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

छव तन ।
सुवरण ।।६२।।
श्री स्वर्णाभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कनक भाँत ।
बनक गात ।।६३।।
श्री शांत-कुंभ-निभ-प्रभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तन महिमा ।
स्वर्ण समाँ ।।६४।।
श्री द्युम्नाभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भौन शरण ।
सोन वरण ।।६५।।
श्री जात-रूपाभाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वर्ण गरम ।
वर्ण चरम ।।६६।।
श्री तप्त-जाम्बू-नद-द्युतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तन जो ना ।
तुम सोना ।।६७।।
श्री सुधौत-कलधौत-श्रिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञान ज्योति ।
ध्यान मोति ।।६८।।
श्री प्रदीप्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्वर्णिम ।
तन तुम ।।६९।।
श्री हाटक-द्युतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

इष्ट ।
शिष्ट ।।७०।।
श्री शिष्टेष्टाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सृष्टि ।
पुष्टि ।।७१।।
श्री पुष्टिदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

संपुष्ट ।
तन यष्ट ।।७२।।
श्री पुष्टाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्पष्ट ।
दृष्ट ।।७३।।
श्री स्पष्टाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

स्पष्टाक्षर ।
बुद्धि प्रखर ।।७४।।
श्री स्पष्टाक्षराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् नम ।
सक्षम ।।७५।।
श्री क्षमाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अरहन्त ।
निर्ग्रन्थ‌ ।।७६।।
श्री शत्रुध्नाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत् भेरी ।
विगत वैरी ।।७७।।
श्री अ-प्रतिघाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सफल ।
अचल ।।७८।।
श्री अ-मोघाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कुप् क्लेश घाता ।
उपदेश दाता ।।७९।।
श्री प्रशास्त्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अध्यक्ष ।
जग रक्ष ।।८०।।
श्री शासित्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धरा, द्यु ।
स्वयंभू ।।८१।।
श्री स्व-भुवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शान्त मन ।।
कान्त तन ।।८२।।
श्री शांति-निष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गुणि श्रेष्ठ ।
मुनि-ज्येष्ठ ।।८३।।
श्री मुनि-ज्येष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

न गुमान रंच ।
कल्याण पञ्च ।।८४।।
श्री शिव-तातये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिव कर्ता ।
भव हर्ता ।।८५।।
श्री शिव-प्रदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शान्ति दान ।
कान्तिमान ।।८६।।
श्री शांति-दाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शान्ति कृत ।
कान्ति धृत ।।८७।।
श्री शांति-कृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शान्त गभीर ।
कान्त शरीर ।।८८।।
श्री शांतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शान्त गेह ।
कान्त देह ।।८९।।
श्री कांति-मते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

किमिच्छ दान‌ ।
विदग्ध मान ।।९०।।
श्री कामित-प्रदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रेयस ।
निधि वश ।।९१।।
श्री श्रेयो-निधये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धर्माधार ।
दयावतार ।।९२।।
श्री अधिष्ठानाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अन्य दृष्ट ।
अप्रतिष्ठ ।।९३।।
श्री अ-प्रतिष्ठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कीर्ति लोक ।
तीर्थ ढ़ोक ।।९४।।
श्री प्रतिष्ठताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

थिर शरणा ।
झिर करुणा ।।९५।।
श्री सुस्थिराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन थिर ।
स्थविर ।।९६।।
श्री स्थावराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पल-पल ।
अविचल‌ ।।९७।।
श्री स्थाणवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रुत धृत ।
विस्तृत ।।९८।।
श्री प्रथीयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अशेष रिद्ध ।
लब्ध प्रसिद्ध ।।९९।।
श्री प्रथिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

हितु ।
पृथु ।।१००।।
श्री पृथवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=महार्घ्य=

नीर, चन्दन‌, पुष्प, व्यंजन ।
धान शाली, फल दिवाली ।।
धूप भेंटूॅं, पुन समेटूॅं ।
डूब न्यारी, अर्ज म्हारी ।।
ॐ ह्रीं अर्हं त्रिकाल-दर्श्यादि-
पृथ्विन्त्य-शतनाम-धराय-
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ॥९॥

श्री दिग्वासा-द्यष्टोत्तर-शतम्
नमो नमः

जश अबीर ।
दिशा चीर ।।१।।
श्री दिग्वाससे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नमन वन्दन ।
पवन करघन ।।२।।
श्री वात-रशनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सत्पन्थ ।
निर्ग्रन्थ ।।३।।
श्री निर्ग्रन्थेशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निरम्बर ।
दिगम्बर ।।४।।
श्री दिगम्बराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निस्तरंग ।
रहित संग ।।५।।
श्री निष्किंचणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत पिपास ।
विगत आश ।।६।।
श्री निराशंसाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अवगम ।
दृग्-नम ।।७।।
श्री ज्ञान-चक्षुषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

न मोह ।
न द्रोह‌ ।।८।।
श्री अमोमुहाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तेज पुंज ।
गुण निकुंज ।।९।।
श्री तेजो-राशये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ओज नन्त ।
तेज वन्त ।।१०।।
श्री अनंतौजसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भान इन्द ।
ज्ञान सिन्ध ।।११।।
श्री ज्ञानाब्ध्ये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सागर शील ।
आंख पनील ।।१२।।
श्री शील-सागराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तेजस ।
ते जश ।।१३।।
श्री तेजो-मयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अमित ज्योती ।
अछत मोती ।।१४।।
श्री अमित-ज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्योति मूर्त ।
शुभ मुहूर्त ।।१५।।
श्री ज्योतिर्-मुर्तिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यम दुवार ।
अंधकार ।।१६।।
श्री तमोपहाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

चूड़ामण भा ।
पूरण मंशा ।।१७।।
श्री जगच्चूड़ा-मणये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दीप्त काय ।
निष्कषाय ।।१८।।
श्री दीप्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अत्यन्त ।
सुखवन्त ।।१९।।
श्री शंवते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विघन हर्ता ।
शगुन कर्ता ।।२०।।
श्री विघ्न-विनायकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विरह ।
कलह ।।२१।।
श्री कलिघ्नाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अरिहन्ता ।
सिरिवन्ता ।।२२।।
श्री कर्म-शत्रुघ्नाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लोकालोक ।
औ’ आलोक ।।२३।।
श्री लोकालोक प्रकाशकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परिणाम भद्र ।।
जय जय अनिद्र ।।२४।।
श्री अनिद्रालनवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अनिद्रालु ।
अतन्द्रालु ।।२५।।
श्री अतंद्रालवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जागरुक ।
भाग सुख ।।२६।।
श्री जागरुकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

प्रभा ज्ञान ।
क्षमावान ।।२७।।
श्री प्रभा-मयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सिरी पत ।
गिरी व्रत ।।२८।।
श्री लक्ष्मी-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सदीव ।
प्रदीव ।।२९।।
श्री जगज्ज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिव जहाज ।
धर्म-राज ।।३०।।
श्री धर्म-राजाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नुत जन-जन ।
हित सर्जन ।।३१।।
श्री प्रजा-हिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्ग्रन्थी ।
शिव पन्थी ।।३२।।
श्री मुमुक्षवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मोक्ष बन्ध ।
ज्ञातवन्त ।।३३।।
श्री बंध-मोक्षशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

राख आँख ।
झाँक ‘नाक’ ।।३४।।
श्री जिताक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन्मथ ।
हन पथ ।।३५।।
श्री जित-मन्मथाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शान्त रस ।
पात्र जश ।।३६।।
श्री प्रशांत-रस-शैलूषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भव्य नायक ।
भव विनायक ।।३७।।
श्री भव्य-पटेक-नायकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मूल कर्ता ।
भूल हर्ता ।।३८।।
श्री मूल-कर्त्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अचल ज्योति ।
अखिल ज्योति ।।३९।।
श्री अखिल-ज्योतिषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्मल मन ।
नमन सुमन ।।४०।।
श्री मलघ्नाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! मुक्त मूल ।
उनमुक्त भूल ।।४१।।
श्री मूल-कारणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

नुत प्राप्त ।
पद आप्त ।।४२।।
श्री आप्ताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

राग हत ।
वाग् पत ।।४३।।
श्री वागीश्वराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जेय मद ।
श्रेय पथ ।।४४।।
श्री श्रेयसे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उक्ति ।
सूक्ति ।।४५।।
श्री श्राय-सोक्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! अमोल ।
बोल-बोल ।।४६।।
श्री निरुक्त-वाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पक्ष विरक्ता ।
सत्य प्रवक्ता ।।४७।।
श्री प्रवक्त्रे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सच नामी ।
वच स्वामी ।।४८।।
श्री वच-सामीशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दमन ।
मदन ।।४९।।
श्री मारजिते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सर्वश्व ।
विद् विश्व ।।५०।।
श्री विश्व-भाव-विदे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मनहार ।
तन न्यार ।।५१।।
श्री सु-तनवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्मुक्ति ।
तन युक्त ।।५२।।
श्री तनु-निर्मुक्तिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सुमत ।
सुगत ।।५३।।
श्री सु-गताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जय क्षय ।
दुर्नय ।।५४।।
श्री हत-दुर्नयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शिरीष ।
ऋषीश ।।५५।।
श्री श्रीशाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सिरी आद ।
पूज्य-पाद‌ ।।५६।।
श्री श्री-श्रित-पादाब्जाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

क्षय ।
भय ।।५७।।
श्री वीत-भिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

बहिरन्तर ।
अभयंकर ।।५८।।
श्री अ-भयंकराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत दोष ।
रत रोष ।।५९।।
श्री उत्सन्न-दोषाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्वसन ।
निर्विघन ।।६०।।
श्री निर्विघ्नाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अचल मन ।
वचन तन ।।६१।।
श्री निश्चलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ढ़ोक निच्छल ।
लोक वत्सल ।।६२।।
श्री लोक-वत्सलाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लोप मान ।
लोकमान ।।६३।।
श्री लोकोत्तराय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

तिहु लोक राज ।
दिव शिव जहाज ।।६४।।
श्री लोक-पतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् ।
जग ।।६५।।
श्री लोक-चक्षुषे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पारावार ।
मेधा पार ।।६६।।
श्री अपारधिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् विशुद्ध ।
अचल बुद्ध ।।६७।।
श्री धीर-धिये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन ! पारग
सन-मारग ।।६८।।
श्री बुद्ध सन्मार्गाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

परिणत शुद्ध ।
महत् विशुद्ध ।।६९।।
श्री शुद्धाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

साँच ।
उवाच् ।।७०।।
श्री सत्य-सूनृत-वाचे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पार प्रज्ञ ।
न्यार विज्ञ ।।७१।।
श्री प्रज्ञा-पार-मिताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

निर्मान ।
संज्ञान ।।७२।।
श्री प्राज्ञाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दिव यतन ।
शिव सदन ।।७३।।
श्री यतये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विजय ।
विषय ।।७४।।
श्री नियमितेन्द्रियाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

महन्त ।
भदन्त ।।७५।।
श्री भदंंताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

श्रेयस कर ।
तेजस धर ।।७६।।
श्री भद्र-कृते नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

रम्यक् भद्रा ।
सम्यक् श्रृद्धा ।।७७।।
श्री भद्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन काम ।
क्षण नाम ।।७८।।
श्री कल्प-वृक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

वरदानी ।
अर ज्ञानी ।।७९।।
श्री वर-प्रदाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

अरि कर्मन ।
उन्मूलन ।।८०।।
श्री समुन्मूलित-कर्मारये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

कर्म काठ ।
अग्नि भांत ।।८१।।
श्री कर्म-काष्ठाशु-शुक्षणये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आर्य ।
कार्य ।।८२।।
श्री कर्मण्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लगन ।
मगन ।।८३।।
श्री कर्माठाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

उन्नत ।
सन्मत ।।८४।।
श्री प्रांशवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

ज्ञात हेय ।
उपादेय ।।८५।।
श्री हेयादेय-विचक्षणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जयति नन्त ।
शक्ति वन्त ।।८६।।
श्री अनंत-शक्तये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

गत छिन्न-भिन्न ।
चिद्रूप धन्य ।।८७।।
श्री अच्छेद्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पुर जरम-मरण ।
अर जरा हनन ।।८८।।
श्री त्रि-पुरारये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

लोचन ।
त्रिभुवन ।।८९।।
श्री त्रि-लोचनाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भुवन-भुवन ।
झलक नयन ।।९०।।
श्री त्रि-नेत्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जग दर्शन ।
दृग् दर्पन ।।९१।।
श्री त्र्यम्बकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

जगत् तीन ।
दृगाधीन ।।९२।।
श्री त्र्यक्षाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

केवल ज्ञान ।
नेत्र प्रधान ।।९३।।
श्री केवलज्ञान-वीक्षणाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

भद्र समंत ।
करुणावन्त ।।९४।।
श्री समंत-भद्राय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

पन्थ क्षान्त ।
शत्रु शान्त ।।९५।।
श्री शांतारये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

आचारज ।
करुणा ध्वज ।।९६।।
श्री धर्माचार्याय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् अविकारी ।
करुणाधारी ।।९७।।
श्री दया-निधये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

सूक्ष्म दृष्टि ।
क्षमा वृष्टि ।। ९८।।
श्री सूक्ष्म-दर्शिने नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मन तरंग ।
जित अनंग ।।९९।।
श्री जितानंगाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दयालु ।
कृपालु ।।१००।।
श्री कृपालवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मर्म कथन ।
धर्म वचन ।।१०१।।
श्री धर्म-देशकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

शुभम् समय ।
मंगलमय ।।१०२।।
श्री शुभंयवे नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

मोक्ष साध ।
सुख अबाध ।।१०३।।
श्री सुख-सद्‌भूताय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

धन्य ।
पुण्य‌ ।।१०४।।
श्री पुण्य-राशये नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

यम जन्म जरा ।
रोग निर्जरा ।।१०५।।
श्री अनामयाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

दृग् ज्ञान चरित ।
वृष संरक्षित ।।१०६।।
श्री धर्म-पालाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

विगत काल ।
जगत पाल ।।१०७।।
श्री जगत्पालाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

साम्राज्य धरम ।
अध्यक्ष परम ।।१०८।।
श्री धर्म-साम्राज्य-नायकाय नमः
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।

=महार्घ्य=

मिला के कुल ।
निराकुल कुल ।
‘के पा जाऊॅं
जल चढ़ाऊॅं
फल चढ़ाऊॅं
चढ़ाऊॅं गुल ।।
ॐ ह्रीं अर्हं दिग्वासादि-धर्मसाम्राज्य-
नायकान्त्याष्टोत्तर शतनाम-धराय-
अर्हत्परमेष्ठिने नमो नमः ॥१०॥

जयमाला
=दोहा=
गुण कीर्तन भगवान का,
कीरत करता नाम ।
बने, रंगा लूॅं क्यूँ नहीं,
अपनी सुबहो-शाम ।।

रोशनी तू जग अंधेरा ।
भक्त वत्सल नाम तेरा ।।

भक्त सीता नाम रानी ।
धधकते अंगार पानी ।।
जाप मन्तर आप फेरा ।
रोशनी तू जग अंधेरा ।।

टूक दो बन्धन हुये है ।
तर नयन चन्दन हुये है ।।
हृदय जो तेरा बसेरा ।
रोशनी तू जग अंधेरा ।।

पाँव नीली ने छुवाया ।
खुल पड़े पट, विघट माया ।।
नाम तुम लीना अकेला ।
रोशनी तू जग अंधेरा ।।

था घड़े में नाग काला ।
हाथ सोमा फूल माला ।।
सुना क्या ? तू एक मेरा ।
रोशनी तू जग अंधेरा ।।

दुखी रहता मैं हमेशा ।
नाथ मैं भी हूॅं परेशां ।।
दो लगा भव पार बेड़ा ।।
रोशनी तू जग अंधेरा ।।

=दोहा=
सहज-निराकुल लो बना,
और न बस अरमान ।
करुणा, दया, निधान ओ !
आदि ब्रह्म भगवान् ।।

‘सरसुति-मंत्र’

ॐ ह्रीं अर्हन्‌
मुख कमल-वासिनी
पापात्‌-म(क्) क्षयं-करी
श्रुत(ज्)-ज्-ञानज्‌-ज्वाला
सह(स्)-स्र(प्‌) प्रज्-ज्वलिते
सरस्वति-मत्‌
पापम् हन हन
दह दह
क्षां क्षीं क्षूं क्षौं क्षः
क्षीरवर-धवले
अमृत-संभवे
वं वं हूं फट् स्वाहा
मम सन्‌-निधि-करणे
मम सन्‌-निधि-करणे
मम सन्‌-निधि-करणे ।
ॐ ह्रीं जिन मुखोद्-भूत्यै
श्री सरस्वति-देव्यै
अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।

*विसर्जन पाठ*

बन पड़ीं भूल से भूल ।
कृपया कर दो निर्मूल ।।
बिन कारण तारण हार ।
नहिं तोर दया का पार ।।१।।

अञ्जन को पार किया ।
चन्दन को तार दिया ।।
नहिं तोर दया का पार ।
नागों का हार किया ।।२।।

धूली-चन्दन-बावन ।
की शूली सिंहासन ।।
धरणेन्द्र देवी-पद्मा ।
मामूली अहि-नागिन ।।३।।

अग्नि ‘सर’ नीर किया ।
भगिनी ‘सर’ चीर किया ।।
नहिं तोर दया का पार ।
केशर महावीर किया ।।४।।

बन पड़ीं भूल से भूल ।
कृपया कर दो निर्मूल ।।
बिन कारण तारण हार ।
नहिं तोर दया का पार ।।५।।
( निम्न श्लोक पढ़कर विसर्जन करना चाहिये )

=दोहा=
बस आता, अब धारता,
ईश आशिका शीश ।
बनी रहे यूँ ही कृपा,
सिर ‘सहजो’ निशि-दीस ।।
( यहाँ पर नौ बार णमोकार मंत्र जपना चाहिये)

आरती
जिन सहस नाम ।
शत शत प्रणाम ।
करूॅं आरतिया, मैं सुबह शाम ।।
घृत दीपाली ।
कञ्चन थाली ।
तव रतनारी ।
झालर ललाम ।
करूॅं आरतिया, मैं सुबह शाम ।।

जिन सहस नाम ।
शत शत प्रणाम ।
जश मरु-नन्दन ।
पुरु अभिनन्दन ।
हृदय स्पन्दन, जिन सेन स्वाम ।
करूॅं आरतिया, मैं सुबह शाम ।।

जिन सहस नाम ।
शत शत प्रणाम ।
नाभेय गाथ ।
गुण गान आद ।
थव वृषभ नाथ, थुति जेय-काम ।
करूॅं आरतिया, मैं सुबह शाम ।।

जिन सहस नाम ।
शत शत प्रणाम ।
आदीश विरद ।
कथ प्रथम विरत ।
कीरत भगवत्, प्रद मुक्ति धाम ।
करूॅं आरतिया, मैं सुबह शाम ।।

घृत दीपाली ।
कञ्चन थाली ।
तव रतनारी ।
झालर ललाम ।
करूॅं आरतिया, मैं सुबह शाम ।।
जिन सहस नाम ।
शत शत प्रणाम ।
करूॅं आरतिया, मैं सुबह शाम ।।

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point