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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -67

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
“मोक्ष मार्ग में परथम लौकी”
यत्र तत्र ऐसा भैय्या, दीदी के मुख से सुनाई देता है और सच भी है,
लौकी पर आपका बड़ा विश्वास है
किसी का स्वास्थ्य थोड़ा भी उन्नीस बीसा क्या हुआ आप लौकी लेना अच्छा रहेगा कहते है ?
क्यों स्वामिन् ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
देखो…
लौ…की
अक्षर पलटते ही
कि…लो
जर्रा सा भी पीस
डॉक्टर बगैर फीस
पेट की ना…गिन बीमारी
दूसरे पलड़े पर रखी लौकी की गंध, भारी
सहज सुपाच
खिचड़ी मिल जाये तब तो
सोने-सुहाग
लौं यानि ‘कि जठराग्नि
‘की’ यानि ‘कि ‘चाबी’
लगाते ही सहज शमन
अय ! सुमन
मतलब
व्रत मन्दिर कलश कामयाबी
सो जानवी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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