सवाल
आचार्य भगवन् !
दीदिंयाँ,
दादिंयाँ,
नानिंयाँ,
पोथिंयाँ,
साधु साध्विंयाँ
और
तो और आपकी भी
हितमित प्रिय बतिंयाँ
सभी के सभी
एक सुर से कहते मिलते हैं जब कभी
‘पूत के लक्षण पालने में’
मेरे भगवन्
इसका अर्थ मेरे तो सर के ऊपर से
निकलता है
सुनते हैं
पंजों के बल भी खड़े हो सकते हैं
यदि कोई सहारा दे तो
कृपया
आप मेरी मदद कीजिए ना गुरु जी
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
सुनिये
आ…ज्ञा
‘आ’ मतलब
आत्मा ले लेकर
‘ज्ञा’ मतलब
ज्ञानी बनने तक के सभी अक्षर
जो अपने पास
सहेजकार रखना चाहते हो
तो आज्ञा कभी मत देना
मैंने तो ‘वीर बोलो’ के मुख
था सुना दिन इक
पूत के लक्षण पालने में
क्या भाई क्या ?
तो गुरु आज्ञा
पुरु आज्ञा
शुरू आ…ज्ञा अन्त
ऐसे ग्रन्थ
आज्ञा उनकी
न ‘कि मन की
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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