सवाल
आचार्य भगवन् !
फटे में टाँग अड़ाने का खूब मन करता है,
और एक कदम आगे बढ़ जाता हूँ
फिर मुँह की खाता हूँ
क्या करूँ
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
दे…बता
क्या दो से जियादा है
फिर क्यूँ किसी के बीच में टांग अड़ाना
खुदा न खास्ता
कभी रह चली अड़ के तो,
होगा बामुश्किल आगे कदम बढ़ाना
‘रे न कर खता
कीमती दुनिया में कमती
आ…दमी
ना…गिन बहुत
‘री मति क्यों किसी को छेड़ती छाड़ती
छेड़ती जो नागिन,
तो छोड़ती न छिन मौत
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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