सवाल
आचार्य भगवन् !
गुरुदेव को साईटिया हो चला था,
ज्यादा दूर दूर विहार नहीं हो पाता होगा
तब आपका मन दूर देश जाने का नहीं करता था वहीं-वहीं घूमते-घूमते मन ऊब जाता होगा
है ना
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कुछ कविताएँ पढ़ रक्खी थी मैंने
रखते हैं जादुई करामात,
मम्मी-पापा के हाथ
मम्मी का मेरे सिर-पे हाथ फेरना
और नींद का आना
था होता एक साथ
पापा का मेरे सिर-पे हाथ फेरना
खुल नींद का जाना
अब
रातों में नींद का न आना
कोई वाकया…
न नया
दूर…सुदूर
कहीं
दिन का करार भी, है चला गया
परदेश में जो आ गया
हा ! मैं…
लोरिंयाँ, थपकिंयाँ मिलेगी सपने में
कह कैसे दूँ
नींद मुझे जो आती नहीं
जब तक हाथ तेरा,
माथ मेरा न ले छू
माँ याद आती बहुत तू
अंगुलिंयों का चाटना
हो ही जाता है अनायास
माँ के हाथों के बने
भोजन का जायका होता ही है कुछ खास
अंगुलिंयों का चाटना,
अब हो तो हो कैसे
माँ को घर में छोड़ के
‘अकेले’
चुन लिये जो मैंने पैसे
मम्मी पापा बच्चे के विना,
हरगिज नहीं रह सकते
और मम्मी पापा के विना बच्चे
क्षमा कीजिए
हम सच नहीं कह सकते
आते ही कहता ‘बच्चा’
माँ की जिन्दगी में अब सिर्फ मैं
‘रे समझना चाहिए हमें
हमारे अलावा माँ का और है ही कौन
जीजी के जीजू हैं
भैय्यू की भाभी हैं
और रिश्तेदार कोन कोन
लगते ही पंख जिन्हें गया उड़ाया
उन्होंने बताया
बड़े खुशनसीब होते हैं वे,
सर पे रहता है जिनके
अपने मम्मी-पापा का साया
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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