loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -373

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
सन्मृत्य, समाधि, सल्लेखना में
क्या करना होता है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
खेल ना ‘री
चलती रेलगाड़ी से उतरना
अब चलना न चलेगा
पड़ेगा दौड़ना
वो भी न चलेगा आहिस्ते-आहिस्ते
और न ही हाँपते-हाँपते
ताल-मेल
चाल-रेल से पड़ेगा जोड़ना
और सुनो
पल-पलक नहीं
देर तलक
अब सुजान…
इतना भी नहीं आसान
पाना आत्म झलक
वैसे है आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
आ शान बढ़ा

जो घबड़ा जायेगा
अग्नि परीक्षा से
वो घड़ा न बन पायेगा
माटी-माधौ
साधो, बनती कोशिश
मरण-जागते-जागते
रहे स्मरण
भागते भागते हिरण
न पा पाया कस्तूरी
भले नाप आया, एक लम्बी दूरी
वैसे ज्यादा दूर न आतमा
खड़े होना अपने पंजों पर
और हाथ लगना आसमां

हाय ! मरण किया
रो वारिश
ओ ! बार इस
‘के जाय स्मरण किया
करना कुछ ऐसा
न खरीद सके जिले पैसा,
दो और दो चार का जहाँ
न लगे गणित
दे जाये जो अगणित
बग़ैर मॉंगे
बढ़ा ‘आ…चरण’ आगे
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point