loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -345

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
मन परिग्रह को पाप मानने के लिये
किसी भी तरीके से तैयार क्यों नहीं होता है
भले पुण्य के उदय में मिलता है
लेकिन पाप में कारण तो है
ऐसे तो सारे पापों की लाग,
पुण्य के उदय में ही लगती है
पुण्य होगा तभी सेंध लगा करके, चोरी कर सकेंगें वरना पकड़े जायेंगें
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
सुनो,
एक दृष्टि और है,
अनेकान्त
अद्‌भुत आद्योपान्त
सेंध मारने में सफलता मिलने पर तो
कल फिर सेंध लगाने का हौसला बढ़ेगा
सो
चोरी करने में सफलता पुण्य का नहीं,
पाप का उदय समझो
पुण्य होगा तो
चोरी करते ही,
‘सिर मुड़ाये ‘कि ओले पड़े’
यह कहावत चरितार्थ भले हो चले
पर…. अब
जब बालों का सहारा रहेगा
तब ओलों के सर पर गिरने का डर
खत्म हो चलेगा
क्यों ?
क्योंकि जिसने सिर गंजे जंग झेेल ली होगी
वह तो अनुभवी कहलायेगा
सो गलत काम करते ही
भगवन् !
रोक लें, ऐसी प्रार्थना करिये
जिन्हें नहीं रोकते भगवन्
वे दया के पात्र है

परिग्रह को पुण्य कहकर
किया गया एन्काउन्टर
दे…खो
झाँसे में आ मत जाना

वैसे बात छोटी ही
पर…
चोटी के विद्वान के लिये भी
‘के पे के उन्हत्तर’ सी
बड़ा मुश्किल,
हलक से नीचे उतार पाना
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point