सवाल
आचार्य भगवन् !
जादुई छड़ी, जादुई कालीन, जादुई चिराग,
जाने क्या-क्या जादुई चीजें लोक में बहुचर्चित है
पर देखी नहीं कभी ?
भगवन् आपके देखने में आई हैं क्या ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
भाई,
हम सभी के हाथ आई
पर्याय पञ्चम कालीक
हम कहाँ इतने बड़भाग
दूर हाथ लगे
‘के देख भी सकें छड़ी जादुई, कालीन, चिराग
लेकिन हाँ…
सुबह-सुबह जरूर टकराते
दिल के सच्चे
मासूम कबाड़ा बटोरने वाले कुछ बच्चे
कुछ-कुछ मैला
उनके कांधों पर टँगा होता एक थैला
कम नहीं होता
वह होता जादुई अनोखा
उसमें होतीं काम काज कीं
सभी न्यार,
सार की चीजें
जिन्हें हम-आपने
था छोड़ ‘दिया’
यह कह करके
‘के हैं ये सभी बेकार कीं चीजें
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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