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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -216

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
आपके प्रवचन में तिल्ली के जैसा
अतराता रहता है शब्द जमा…ना जमाना
भगवन् !
एक बार ही पर्याप्त रहता है बोलना,
लेकिन दोबारा
बोल के क्या बतलाना चाहते हैं आप
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
देखिये,
बड़ा अनोखा शब्द है जमाना
जमा के बाद अल्प विराम लेना बस
सच अल्प विराम ‘आदरश’
फिर पूर्ण विराम का कहना ही क्या
ध्यान से सुनना

जमाना
सरगम
हाय राम ! हाय राम ! छेड़ता
मिले कुछ हराम का,
तो कब छोड़ता
जमा…ना

जमाना
आज बहनें
सूट
छूट छांट के साथ पहनें
जमा…ना

जमाना
नाम है डस्ट बिन
और डस्ट ‘केबिन’
यानि ‘कि डस्ट के बिन कभी कहीं भी मिला ना
जमा…ना

जमाना
हाथ पे हाथ रखता है
और ‘नाक’ पे आँख रखता है
जमा…ना

जमाना
खानदानी होके लात उठाता,
किसी के खानदानी होने पर
सवालात उठाता
जमा…ना

जमाना
कलाई घुमा के कहे टाईटन
और कपड़े धुलाई वाला
वही घड़ी पहने हो,
तो कहे टाईट…न
फिर जो कह रही आ…जनता
उससे लेता जोड़ आज…नाता
जमा…ना

जमाना
शत्रु के यह कहने पर
‘के मैं बकरी
करने से पहले क्षमा विरली
जर्रा पढ़ के देख लेना,
करके थोड़े से दूर दूर अक्षर
‘के मैं
बक…’री
थोड़ा मोड़ा भला
जमा…ना
ज्यादातर दोगला

जमाना
अद्भुत नाम करण
वाह भाई वाह लाई
‘लाई’ लाते जाओ…
लाते जाओ…
खाते जाओ…
खाते जाओ…
और ‘माँ लाई’ फिर तो
कहना ही क्या माफिक मलाई
पर हा ! हाय ! जमा…ना
कहाँ लजाना ये कहते हुऐ ‘कि मुर…’री
उससे
रक्खा जुबान पर जिसे ‘कि घुरी

फूल फल पाके
कुछ-कुछ झुक चलीं डालिंयाँ
जमाना
खाली मुट्टी कदम दर कदम गिरगिट सा
गर्दन उठाता मियाँ
जमा…ना

जमाना
कान्हा नाम गरीब से काना कहता
कानापन नसीब उस अमीर से कान्हा कहता
जमा…ना

जमाना
लक्ष्मी होकर भी,
नारी नजरें झुकाये रहती थी
कल
आजकल
चन्द सिक्के खनखनाती सड़क पे
सिर उघाड़े फिरती है
जमा…ना
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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