सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते हैं,
हर बारी माँ हारती है और
बेटा जीतता है
भगवन् वो प्रसंग सुनाईए
जिसमें मॉं श्री मन्ती जी से आप हार चले हो
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
चार चपातिंयाँ
खिलाने के बाद
माँ श्री मन्ती कहतीं हैं बेटा,
चार गुप-चुप के साथ एक सूखी
फ्री आती है
मैं कहता हूॅं
बस माँ बस
अपने फिरके लाने माँ फिर के कहती है
ऐसी रोटी तो अभी तक नहीं फूली
ये कोई रोटी न मामूली
ले लो बेटा ले लो
मैं कहता हूॅं
बस माँ बस
माँ कहती है
बस…मावस
कह रहा है, इसका मतलब है
पूनम में रस है
पूनम के चाँद जैसी ही है, कईले पे रख के
कड़क भी कर दी है
ठीक है माँ, आधी दे दो
जाने मा…ने
रख रक्खे पास में कौन से
नाप तौल पैमाने
आधी मंगाई
पौन से भी ज्यादा
माँ ने थमाई
और फिर क्या कहती है
इतनी सी और ले लो ‘पूरी’ कहायेगी
रोटी आधी बस चुपरी ही
और पूरी में रहता,
‘चार परी घी’
मैंने कहा ठीक है माँ
जो तुम्हारी मर्जी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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