सवाल
आचार्य भगवन् !
सुनते हैं,
समय से पूर्व ही रावण जैसे लोगों को
सिद्धियाँ हो चलीं
पर आज तो रिद्धि-सिद्धि
जुड़वा बच्चिंयों के नाम बस रह गये हैं ।
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
गरभ से धड़क रही
धड़कन
‘न थकी’
सांस सरकन
गरब से सरक रही
थकते हैं
‘हम’
सिसकते है
भर के डग
एक
पथ-नेक
मुँह उठाकर तकते हैं
सुरग
सचमुच
मन्दर
मंदिर का दर यानि ‘कि दरवाज़ा मन
जिसे छोड़ आते है हम
घर, दुकान पर
खेत, खलियान पर
जुड़े तो जुड़े कैसे सातिशय पुन
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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