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जवाब लाजवाब आचार्य श्री जी

जवाब लाजवाब -15

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

सवाल
आचार्य भगवन् !
नेक चौके लगे रहते हैं
आप एक चौड़े में पड़गाहन देकर,
नेक दिल दुखाते है हर-रोज,
स्वामिन् !
क्या ये एक युगपुरुष के लिये,
उचित है रोजाना,
सभी पे किरपा बरसे,
क्या ऐसी जादुई शक्ति नहीं है कोई गुरु जी ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,

जवाब…
लाजवाब
भाई !
‘नेक’ चौके में ही जाता हूँ मैं तो,
जहाँ द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की विशुद्धि रहती है
वही तो नेक चौका है
और आप कहते हैं,
नेक दिल दुखते हैं,
तो आप सही कहते हैं
अनेक दिल जो, नेेक-बार मुँह जुठारते है,
वे दुखाते है
हम तो दिन में एक बार ही खाते है
लगता है, आपको धोखा हुआ है
वो महाशय, कोई और रहे हैं
जिन्हें आप युग-पुरुष कह रहे हैं
हम तो ‘पुरु’ के
‘स’ यानि ‘कि समर्थक हैं
और हम तो किरपा बरसाने रहते तैयार
रात-रात करते रहते इंतजार
‘के आप अब लेटे
अब लेटे
अब लेटे
आप लेट हो जाते हैं
और हमारे उठ बैठने का वक्त हो जाता है
हालाकि,
गुजरा… ‘कल’,
‘कल’ आना भी बाकी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः

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